नगरोय समाज शास्त्र | Nagroya Samaajshastriiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नगरीय जीवन की विशेषताएं ] [ ११ ही रहते हैं जिसके कारण परिवार के मुखिया का कोई नियंत्रण सदस्यों पर नहीं रहता । जो सदस्य कमाने वाले होते हैं वे तो मुखिया की जरा भी पर्वाह नहीं करते । स्त्रियों का नगर में घर से बाहर रहना तथा काय करना भी इसमें योग देता है । &. व्यक्तिबादिता-- नगर के पर्यावरण में व्यक्तिवादिता का विकास हो रहा है । इसका कारण स्त्रियों की आधिक स्वतंत्रता पारिवारिक संघर्ष दिक्षा सामाजिक गतिशीलता एवम्‌ रोमांस पर श्राधारित जीवन है । नगर का प्रत्येक व्यक्ति श्रपने हितों के लिये कायें करता है । व्यक्तिगत स्वार्थ प्रबल हो रहा है । १० प्रतिस्पर्धा का जीवन--- नगर वह क्षेत्र है जहां प्रतिस्पर्धा पग-पग पर होती है विश्षेषत व्यापार व्यवसाय श्रौर दिक्षा के क्षेत्र में । नगर का जीवन व्यक्ति को प्रतिस्पर्धा सिखाता है । यहाँ पर व्यक्ति को विकास के अ्रनेक साधन होते हैं । ११. श्रमविभाजन श्रौर विशेषीकरण-- नगर में बड़े-बड़े उद्योग कल-कारखाने श्रादि होते हैं जहां पर झनेक वस्तुझ्रों का निर्माण होता है । श्रम करने वाले श्रमिक भी लाखों की संख्या में कायें करते हैं । प्रत्येक श्रमिक एक विशेष प्रकार का कार्य करता है। एक ही कार्य करते-करते वह कुशल हो जाता है । १२. द्ेतीयक समूहों की बहुलता-- नगर में अधिकतर दतीयक समूह होते हैं । प्रत्येक व्यक्ति का स्वार्थ भिन्न प्रकार का होता है जिस कारण नगर में झ्नेक स्वा्थ-समूहों का निर्माण होता है। इन समूहों के सदस्यों पर प्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण प्रथा आदि के द्वारा कदापि संभव नहीं है । नगर में सरकार या प्रद्यासन द्वारा लोगों पर नियंत्रण रखा जाता है । १३. नगरीय समस्याएं-- नगरों का विकास हो रहा है जिस कारण नगरों में घनी आबादी एवं अत्यधिक भीड़-भाड़ की समस्या गंदी बस्तियों की समस्या मद्यपान झ्ादि समस्या उत्पन्न हो रही हैं । सामाजिक जीवन में झ्रसमानता एवं मशीनों के प्रयोग के कारण श्रौद्योगिक बेकारी बढ़ रही है जिसका प्रभाव जीवन स्तर पर पड़ रहा




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