कब्ज कारण और निवारण | Kabj Karan Or Nivaran

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Kabj Karan Or Nivaran by महावीर प्रसाद पोद्दार - Mahavir prasad Poddar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अन्न-अणाली हम यहां मनुष्य-द्रीरकी पूरी अन्न-प्रणालीका चिंद्र देकर आगेंके अध्यायमें खूराकके दरीरमेसें गुजरनेके पुरे मागंका वर्णन विस्तारपू्वेक करना चाहते है। साथ ही यह वतलाना चाहते हे कि मार्गमें ड्राक कहां कितनी देर ठहरती है, भीतर उसमें क्या-क्या चीजें और मिलती है, उसमेंसे घरीर क्या लेता है, वचा भाग यानी फूजला किस रूपमें आगे जाता है और वह मलके रुपमे कब वाहर निकलता है । यह अन्न-प्रणाली मुंहसे गुदादारतक जाती है । ६समें नं० (१) हार्दिक द्वार हैं, फिर वाई ओर (२) मामाथय (पेट) वीचमें, (३) निजठर' द्वार, उसके सामने दाहिनी ओर (४)यकृतों है। यकृत और आमाणयके सिरेके पास (५) पित्तादयय” हैं। आमाशयके भागे (६)छोटी आंत, (७)संको- चनी पेशी”, (८) क्षुद्रांचउंडुक“-द्वार, (९) उंडुक' हैं. (१०) आरोही आंत, (११) आड़ी आंत , (१२) अवरोही आंत , (१३) अवग्रहाभ सलाशय , (१४) मलाघय । १2 १5६०प0800. 'र्राणटएड पतन्टर 5821 छाइतंते८८ पा उतार भाट०८६८ा 5फुपिण5घटा घाट०८८८2ा एंड ८ ८८प्ण *है5८6पतांघड 0०1०० 'पुष्धण७५४८१४८ (0०109 यू .&5८6एतॉं0४ (0००० फलएाट (00100 *िटटपपिता रे




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