आबू भाग 1 | Aabu Bhag 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Aabu Bhag 1 by मुनि जयन्त विजय - Muni Jayant Vijay

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मुनि जयन्त विजय - Muni Jayant Vijay

Add Infomation AboutMuni Jayant Vijay

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
आदवू [ १झ. से बनते हैं, उसमें मुसलमान संस्कृति के नमूने बना दिये जाते हैं और ये अनभिज्ञता में निभा लिये जाते हैं। इसी प्रकार उस समय भी हुआ हो तो कोई आशय दो बात नहीं है | परन्तु साथ ही साथ इतना अवश्य कहना पड़ेगा कि उन कारीगरों ने थे नियम जेंसा मन में आया पैसे नहीं खोद मारा है। प्रत्येक आकृत्ति 'नाठ्य-शास्त के नियम से घनी है। * नाट्य-शास्त्र! में 'नाथ्य ! के आठ अड्ग अथवा आठ प्रकार दिसलाये हैं । उनमें से फिसी स्थान में प्रथम अद्ज के अनुसार फ्रिसी स्थान में दुसरे अड्ड के नियमानुसार तथा किस्ती स्थान में ३, ४७, ५, ६, ७ किंचा मे ये अड् के अनुसार व्यवस्थित रीति से पुतलियों चनी हैं। “ नाटय-शासत्र' का अभ्यासी अपने अभ्यस्त ग्रन्थों में से यदि इसका मिलान करेगा, तो अवश्य उसको उपर्युक्त कथन का निश्चय होगा । कहने का तात्पये यह है क्वि-आयू के जैन मन्दिर, एक तीथे रूप होकर पुक्ति को प्राप्त करने में साधनभृत तो हो ही सकते है, परन्तु साथ ही साथ भूतकाल का इतिहास, रीति रिपराज, व्यवद्यारिक घान, शिल्प शा एव नाव-शास्र *




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now