कल्याण हिन्दी संस्कृति अंक भक्ति प्रेम | Kalyan Hindu Sanskriti Anka Bhakti Prem

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Kalyan Hindu Sanskriti Anka Bhakti Prem by हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दर्गति-माशिनि हगो जय जय, काल-विनाशिनि काली जय जय | उम्मा समा ब्रह्माणी जय जय, राघा सीता रुविमाणे जय जब ॥ साम्व सदाशिव, साम्य सदाशिव, सास्य सदाशिव, जेब शकर | हर हर शंकर दुखहर सुख्कर अवन्तम-हर हर हर शकर ॥ हरे राम हरे राम शाम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे रृष्ण कृष्ण कृंप्ण हरे हरे .. जय-जय हगो, जय था तारा | जब गणेश, जय शुम-आंगारा ॥| जयति शिवा-शिव जानक्ि-रास । गोरी-शंकर सीता-राम ॥ जय रघुनन्दन जय सिया-राम । बज-गोपी-परिय राधेच्याम ॥ रघुपति गधब राजा. राम । पतितपावन सीता-राम ॥ 2! ७ ३४. अप हिदि ९”. द्ञ खपष्ठ के चित्र हिंद-संस्कातेका सरूप्‌ ध्यान धरे प्रणव-खरूप ज्योति अक्लका जो 'खस्तिक' सुखद शिवरूप वह पाता है । उर बीच सत्य आदि पोडश कमल-दल होते है भ्बुद्ध, चित्त शुद्ध चत जाता है ॥ भक्ति, प्रेम, समतए विराजती तभी हैं वहाँ, सब-आत्मद्शन! अनछूत सुहाता है । सगवद-धास! भे पिराम है परस गति हिंद-संस्कृतिकता भव्य रूप यह साला है| ३, (/५७०३७- <>७++ 3४ र>+++ै५०++ * >र>आब कक 2.९० २++ सरमन-चक् कर्क क पता करुकआा+२क ७3 +र०प*+५्+ “कक +झ तल बरसत+झ लत 5क न पका ०कन+ एक चरतकश+इतत+क++-+ २११ ६क+.+६+>श६ूक१-८+9इू+++ ३३4१९ <६७+-* २७२5० 3०० २३३०० ६६ पसनफ तल न्र्+>-+३+० कै लक4०० ::कदभक्‍++कू4०+हू ७4१०३ ६७१६ 'दूक+++ ६७५ ०६७१००५:१५९७१७८०/३७५ ५ वार्पिक सूल्व । जय पक रवि चन्द्र जयति जय | सत्‌-चित्‌-आहँद घूमा जय जय ॥ हे अन्त आरतमें जा जय जय विश्वरूप | ] भा कम छ हे [| ईरअथ ४७ घश्धछूपण हाू्‌श जय । हुये हर आखिलात्मन्‌ जय ज््य || , ड््य ध्ा) आज का, जय विराट जय जगलते । गौर । विदेश ५) ((डमिल्छि)/, जय छेराट जय जमलत। गांशपाते जय रमापते | [ (3३३ शिलिड् न्नीडओणृघक्‍घक्‍7ौौ7९४-+ ७ आए ड फ अअबअञइ्स्ल्या्ल-ज>त-_+_त....ह.ह.0ह0ह....त0त.त..ेस _पसादक--हलुसान्पसाद पोहयर, चिस्मवछाल गोखामी, एस० ए०, शाल्री सद्रकअकासक शंक॑--धंनश्यसदास्त झालाच, गीताप्रेस, गोरखपुर पक जनता अइ




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