शिवसंहिता | Shiv Sahinta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
217
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोस्वामी श्री राम चरण पुरी - Goswami Shri Ram Charan Puri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथमपथल: । (२१ )
में काठका नियम है इस हेतुसे आत्मा सर्वथा निश्चय
परिपृण है ॥ «८ ॥
ह?-यस्मात्र विद्यत नाशः पचभृतइ था
त्मकः ॥ तस्मादात्मा भव ज्नत्यस्तन्वाशा
नभवत्खडडु ॥ ५९ ॥
टीका-यह जो मिथ्या पंचभूतरें इनसे उसका नाश
नहीं है इसकारणसे आत्मा नित्यहे ओर यह निश्चय
है कि उसका कभी नाश नहींहोता ॥ ५९॥
मूलं-यस्मात्तदन्योीं नास्तीह तस्मादेकों
स्ति सवंदा॥ यस्मात्तदन्यों मिथ्या स्या-
दात्मा सत्या भवत्खदु ॥ ६० ॥
टीका-जब दूसरा कुछ नहीं है तो एक वही स्वेद
अद्वैत है जब उसके सिवाय अथोत् उससे अन्य सब
मिथ्याहे तो वही एक शुद्ध आत्मा सत्य है॥ ६० ॥
मूलं-अविद्याभूते संसारे दुःखनाशे सुर्ख
यतः ॥ ज्ञानादाय॑तशून्य॑ स्थात्तस्मा-
दात्मा भपत्सखु खत ॥ ६१ ॥
टीका-यह संसार अविद्यासे उत्पन्न भया है इस-
के दुःखका नाश होनेपर सुख होताहै ओर ज्ञानसे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...