भारत पारिजातम भाग १ | Bharat parijatam Bhag 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
462
श्रेणी :
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No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कुछ शब्द
मैं जून १९५० में ईस्ट आफ़िकाकी यानामें गया था। वहाँ जानेका
मेरा एक ही उद्देश था और यह यह कि वहाँ इशारों माइल धूर जाकर
गिवास करनेवाले मेरे हिन्दु और मुसच्मान् भाई क्सि प्रड्ाससे, रे
रीति और ज़ीतिसे, कस वेषभूषा और किस विचारसे अपना कालनिर्गमन
परते हैं, इसका पूर्णतया शान प्राप्त करना | इसके साथ ही यह भी
एक उद्देश्य तो था ह्वी कि वश के हिन्द भारयोंमें थोड़ी सी सी
धार्मिक चायति पैदा करनी । धार्मिक जाएतिसे मेरा तात्यम यह कभी
नहीं समझना चाहिये कि दैव-बैध्णवोंका कल अथवा हिन्दु-मुसव्मानोंमें
अन्तर-वृद्धि । मेरे शब्दकोपमें धर्मशन्दके यः अतिगौण अपे हैं । धर्म
शब्दका मुए्य अर्थ-जिसे में समझता और मानता हूँ--सत्य और
सदाचार है | निरपैक्ष सत्य तो फेवल ब्रह्म ही माना गया है | तदतिरिक्त
सभी सत्य सापेक्ष हैँ। अह्मसूप निरपेक्ष सत्य करोड़ों भौर अरबों मनुप्पोमिते
एक दोफेठिये ही उपादेय है। परन्तु सापे्ठ सत्य करोड़ मिंसे करोड़ों केलिये
और अपपमेंसे अस्योंपेलिये आवश्य और उपादेय बसु ऐ। सदाचार
उसी सत्यडा एक अप्न है। तो मी उसडी एयर गगना दोनी ही चाहिये।
दैषझा पुष्र मैत्र यदि यह करे कि मेरी माँ सैत्रड़ी पली है, अथवा यह
अपनी साफो सैप्रभार्या कटटरूर संबोधन फरे तो इसमें असत्य कुछ भी
नहीं है; घत प्रतिशत रात्य ही है। परन्तु यह स्यबदर सदाचार नहीं है।
इसी सझूप घमे और संदाचार8्प धर्ममें जागृति पैदा फरना घाहता
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