पंचांगरत्नावली | Panchang Ratnavali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्द & पंचाडुरत्नांवली & | 400049003605%9677%0 0:62 1:75652055 20:00 ९2968 पोषदि मास २समता अख्व वा मंजिठ्ठ महा ॥ # के के ॥ ' /+५७- रुपिरोदारी ४७ गुरुस्वामी-राज्ञों परस्पर विरेषः लोक 4 देशान्तायांविः दुभिक्व द्विज पीड़ा जीवादि : हुःखे म्लेच्छः राज्य £! परदेशात:घान्यों मायात्‌ :आपाद़ि शुक्लपक्षे - महामेषः आवण्ण | ४ दिन १५ महावपों चेत्रादिः मास्त ३ेसमर्धता घातवः संमर्थः 2 उत्तरापंथे उच्चमुलतान तिल तैलंगे गोड़े भोठ एपुदेशेपु दुर्मि्त 8 पाश्चमाया ; साभते, संधुदेश पान्य , निष्पात्तिः माद्पद खड- ६ | बृष्ठिः धान्ये,जिगुणों' लोभ: आखिने समताः सेगः बालकेः है | फार्तिकादि मास ५ अन्न समर्ध मेदंपीटे छोक पीड़ा.॥ ' ६ ४८-र्ताक्ष ४८ श॒र्क स्वामी-अन्न समर्थ मेंदपादे बृश्षे महा # मेष: आपढ़ें महती जल बृष्टि सुराष्टायां- ग्राम प्रवाहकः अंन्न॑ 2 सं आवण अल्पमेधः किंविद्धिगह भाद्रपदे अस्पषर्षा, रोग पीड़ा आाखिने: अन्न समय ' कारतिकादि मास ४ धत्य महष ॥ 8 विवाद्दिक नास्ति अरव.पीड़ा परिचर्मायां शुभमू.॥ . है ४९--करीधंन ५६ शनिस्वामी-सना बहुला भंदवाहिं प्रजा, | ४ पीढा उत्तरपंथे दु।कारः छोका निधनाः चेत्रे वेशापे, अव्यमेघ: के ६ अन्न समधता ज्येहे मंद सेग पीढ़ी अन्नसमता आंपाढ़ आ्वणे , जैसा धान्ये त्रिगुणो छ|भः भादपदे मेघः अन्न त मे आशिवने _ हे है 2 खा तप रोग पीड़ा कांतिक विश्रह्म घान्य समर्ध मार्गशीर्षे घान्य समंता है ३ अकस्मादुत्पांतः पोषेतमघता बणिक पीढा घान्ये द्विगणों छाभः र अन्यबस्तु त्््ध।... .#.- हर ) ६०--श्षयः ६० राहुस्वामी- चेत्रे करकापातः जेशापे उत्तातः हे केमिकपः ज्येष्ठापंढ़यों रोगबालकः नवीन मुद्रा उदयः अस्यमेघः 4 32522: टस39/226%2:%5:99:%5:




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