श्री शिरवेस्वरोदय | Shriishivasvaroodaya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ताषादीकासम्रेव । (१७)
पक्षमें यह होय तो औरगी-विशेष फल होताहै ॥६%॥
अकौगारकसोरीणांवासरेदक्षनाडिका ॥
स्मत्तव्याचरकार्येषुकृष्णपक्षिविशेषतः ॥ ७० ॥
अर्थ-आद्िय मंगल शनेश्ुर इन वारोंमें दक्षिण
नाडीका स्मरण चर कार्योमें करना ओर इसका फल
कूष्ण पक्षमं विशेष कर होताहँ ॥ ७० ॥
प्रथमंवहतेवायाद्वेतीयेचतथानलः ॥
. ततीयंवहतेभूमिश्रतुर्थवारुणीवहेत् ॥ ७१ ॥
आर्थ-प्रथम वायु तत्व वहताहे द्वितीयवार अभिवत्त,
तृतीय बार भूमि तत्व ओर चतुर्थ वार वरुण तत्त्व वह-
ताहे ओर पाँचवी आकाशतत्व ॥ ७१ ॥
साद्धेद्विटिकेपंचक्रमेणेवोदर्यंतिच ॥
क्रमादेकेकनाडयाँचतत्त्वानांपृ थगुद्भधवः ॥७२ ॥
अर्थ-ढाई घर्टीके मध्ये ये पूर्वोक्त पाँचों तत्व ऋमसे
उदय होतेहें ओर एक २ नाडीमें भी ऋमसे पृथक् पाप
तत्व उदय होतेंह ॥ ७२ ॥
अहोरातज़स्यमध्येतुज्ञियाद्रादशसंक्रमाः ॥
वृषककेटकन्यालिमृगमीनानिशौकरे ॥ ७३ ॥
.. आर्थ-आओर रात्रि ओर दिनके मध्यम चंद्र ओर सूर्भे-
की बारह संक्राति ज़ाननी तिनमें वृष कके कन्या वृश्चिक
मकर मीन-संक्राति चंद्रमाकी होतीहँ % ७३ ॥
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