श्री शिरवेस्वरोदय | Shriishivasvaroodaya

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Shriishivasvaroodaya by खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ताषादीकासम्रेव । (१७) पक्षमें यह होय तो औरगी-विशेष फल होताहै ॥६%॥ अकौगारकसोरीणांवासरेदक्षनाडिका ॥ स्मत्तव्याचरकार्येषुकृष्णपक्षिविशेषतः ॥ ७० ॥ अर्थ-आद्िय मंगल शनेश्ुर इन वारोंमें दक्षिण नाडीका स्मरण चर कार्योमें करना ओर इसका फल कूष्ण पक्षमं विशेष कर होताहँ ॥ ७० ॥ प्रथमंवहतेवायाद्वेतीयेचतथानलः ॥ . ततीयंवहतेभूमिश्रतुर्थवारुणीवहेत्‌ ॥ ७१ ॥ आर्थ-प्रथम वायु तत्व वहताहे द्वितीयवार अभिवत्त, तृतीय बार भूमि तत्व ओर चतुर्थ वार वरुण तत्त्व वह- ताहे ओर पाँचवी आकाशतत्व ॥ ७१ ॥ साद्धेद्विटिकेपंचक्रमेणेवोदर्यंतिच ॥ क्रमादेकेकनाडयाँचतत्त्वानांपृ थगुद्भधवः ॥७२ ॥ अर्थ-ढाई घर्टीके मध्ये ये पूर्वोक्त पाँचों तत्व ऋमसे उदय होतेहें ओर एक २ नाडीमें भी ऋमसे पृथक्‌ पाप तत्व उदय होतेंह ॥ ७२ ॥ अहोरातज़स्यमध्येतुज्ञियाद्रादशसंक्रमाः ॥ वृषककेटकन्यालिमृगमीनानिशौकरे ॥ ७३ ॥ .. आर्थ-आओर रात्रि ओर दिनके मध्यम चंद्र ओर सूर्भे- की बारह संक्राति ज़ाननी तिनमें वृष कके कन्या वृश्चिक मकर मीन-संक्राति चंद्रमाकी होतीहँ % ७३ ॥




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