शास्त्रार्थ फिरोजाबाद | Shastrarth Firojabaad

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Shastrarth Firojabaad by पंडित मिहिरचंद्र - Pandit Mihirchandraमुन्शी पण्डित जैनी जीयालाल - Munshi Pandit Jaini Jiyalal

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मुन्शी पण्डित जैनी जीयालाल - Munshi Pandit Jaini Jiyalal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न्श्‌ ) क्विया कि सब मतों का बैर विरोध मिटा के एक बैदिकसत को सब साने, पर 'मह- वादी लोग ऐसे पश्षपात- सेंअस्त-हो« रहेस्हे कि अअस्ये-लोग अंख-से देखतेजहें तो हम _ नाक से देखने लगे जब से आरीमदुक्त स्वामीजी ने वेदिक आयेधमे की उत्तमता का . उपदेश किया हे तब से अनेक मतवांदियों ने.( अपनी बनावटी लीला को ऋटते देखकर) जहाँ .तहां शास्राथे ऋरने का प्रारम्भ किय्रा परन्तु .वे लोग शास्राथे करने में यंदि बि- चारपूर्वक पक्षपात छोड़ के केवल सत्यासत्य के निशेय के लिये प्रवत्तप्हों तब तो अवश्य अच्छा' फल होवे, परन्तु ड़न लोगों .की दृष्टि यह रहती हेोकेहमारेपक्ष की मूखमण्डली “( जिससे--हसरां सब धनादि का काम निक्रत्नता है, गहुजड़ा कर-हमारे फन्‍्दे सेन निकल-्जाबे इसलिये-शास्त्राथ-का-हल्ला करंके ज्मपना विजय सब को . प्रकट कर देवेंगे । आजकल अनेक स्थलों में शास्रार्थे होते हैं. प्रर उनसे ऐसा कोई पूणलाभव्चद्दी होता कि जो अनेक सत्पुरुषों को सद्यासल्य माल्म होजावे तथाप्रि बुद्धिमान्‌ लोग हंस वित्राद में यथोचित व्रलाबुल:सममक ही लेते हैँ इससे वैदिकधस की उन्नति शने: २ होती ही जाती है ॥ पु जिला आणपरा में एक फ्रोजाबाद नामक कस्बा है वहाँ जेनियों का तौथे ु प्रतिवे चेन्र में मेला होता है, यह असिद्ध है कि जिन नगरों में जेवी आदि की प्रो पर्लाला के मसुख्यस्थान हैं वहां आययसमाज की उन्नति वा स्थिति होना केठित होता इसी के अजुसार त्तग्र फ़ीरोजाबाद में भी आय्यसमाज का आरम्भ होना जनियों को महाअनिष्टकोरी हुआ, उन्होंने समाज तोड़ने के कई एक उपाय-किये दो एक बोर समाज में अपना आदमी भेजा कि हम सतर्विधय में शास्त्राथ करना चाहते हैं, समाज से पन्रद्धारा उत्तर दिया गयांकि हम भी शा्ाथे करते को क्रटिबद्ध कै इस प्रकार की वाते आय्यससाज फीरोजाबाद ओर उस नगर के जैनियो में हो द्वी रही थी के इतने से सनातन आय्येधर्मोपदेशक श्रीस्वामि भास्करातन्द्सरखतीजी सं ० १९४४ फाल्गुन मास में इस फीरोजाबाद नगर में पध्यरे और सनातनधसे की वृद्धि पर व्याख्यांन दिया । इस पर इसी उक्त नगर के रईस जेनधमोवलम्बी सेठ फ़ूछचन्द- जी ने कहा कि मतविपय पर बातो होनी चाहिये जिसका मत ठीक और सनावच निकले छ्वितीय पक्षवाला उसी का'महण करे (सख्वा० भा० जी के साथ ) फूलचन्द थे ओर उक्त खामीजी ने परस्पर प्रतिज्ञा की क्वि जिसका पक्ष गिर जावे वह हित पक्ष को खीकार करे | तव खा० भा० जी से कहा क्रि तुम्हारी ओर से जो कोई शाल्यार्थ करनेवाला ही उसको बुलाओ इस पर सेठ फूलचन्दजी ने पं० पन्नाढां बकआः आम 7७ 7




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