वेद में चर्खा | Veda Me Charkha

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Veda Me Charkha by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वकनन>>-च म तत> श+ कु हू ?2 घर्सखेका मंत्र [ बेद कहता ' है कि “ (१ ) खत धनाकर, (२ ) उस पर रंग. चंढा।ओ, और ( ३) उसकी खराब न करते हुए कपडे ुनों 1: (४ ) विधारशील बनो (५) छम्तजा निर्माण करो २५६). (और तेजस्वियोंकी बुद्धिद्वारा निश्चित हुए मार्गोका रक्षण * करो, (७) यह कवियोंकाही काम है। ” देखिये मंत्रभाग-- (१) तह तन्‍्वन, (२) रजसो भाहुं अन्विहि, (३) अलुल्वर्ण धयत । (४ ) मलुः भव, (५) ढैव्यं जन॑ जनय, (६ ) ज्योतिष्मतः घिया कृतान्‌ पयः रक्ष । (७ ) जोगुवां अपः ५ ठूंतुं तन्वन्शजसो भानुमन्विहि, ज्योतिष्मतः पथों रक्ष : घिया कृतान ॥ अनुल्वर्ण बयत, जोशुवामपों, मनुर्भव, जबया देव्य॑ जनम्‌ ॥ (कर, १०५१६) ” इस मंत्रका भाव ऊपर बतायाही है। इस मंत्री सफ़हता हेनेके लिये कपड़े बुननेकी विद्या सा्वत्रिक होनेंकी आवश्यकता है। इस विषयके वैदिक अदिशका ज्ञान होनेके लिये जिन मंत्रोंके मननकी आवश्यकता है वेह मंत्र इस छेखमें दिये हैं। आशा: है कि देदिक धर्मी सज्जन इसका विचार करेंगे। टी ओंध ( जि. सातारा ) | श्रीपाद दामोदर सातवत्ठेकर , | 1 फाह्युत १९७६ सवाध्याय मंडल, मुदक--चितामण सखाराम देवल्टे, सुबरबेभव ग्रेस, सब्देदस्‌ ऑफ इंडिय * सेसायटीज्‌ बिल्डिंग स्ैंढद रोड, गिर्यांव-पुँबई प्रकाशक--आरीपा वामादर सातवल्ेकर, स्वाध्याय मंडक, गंध, ( जि, सातारा, )




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