वेदमन्दिर प्रवेशिका | Vedmandir Praveshika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
163
श्रेणी :
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योगीन्द्रानन्द न्यायाचर्या - Yogindranand Nyayacharya
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र चेद मन्दिर - अवेशिका
तत्वोपदेश और द्वितीय, परिशि्ट अध्याय परम पुरुपार्थ-साधनोंकी,
चूर्चो दूं [ए ,5 वें कक हे रत पहन नर पट के
(५) छन्दः शाख -- गाप्री मादि इन्होंका स्वच्प
बताते हैं | इस शात्षका मूठ खोत ऐ्व्राह्मण १८-५६, ६९में पाया
जाता है |-किन्तु आदिम आचार विज्वल* मुनि माने जति हैं।
इनके विषय प्रसिद्ध'है--- शेषनागके अवदोर'थे? ,| एक बीर
पृथिवीकी सर करके पाताछ जाते समय इन्हे साक्षांत् झत्यु स्वरूप
भगवान् गरुड़ मिछ गये । गरुड़कों “झाँसा 'देनेका मार्ग शीत्र
निकाक लिया 1 पिज्वढ नागको ज्ञात था कि गरड़ वेडिक हन्दोका
सत्कट जिज्ञामु है; तुरन्त सृच्-अद्ध :भाषामें हन्दोंका सुन्दा
स्वरूप बताते हुए निकट समुद्रकी ओर सरकने लगे। गरुड़
मुग्व भावसे मुन ही रह! था कि समुद्रमें पिड्वछ डुबकी छगा गये ---
यो विविधवणमात्रात्रस्तारात्सांगरे माप्य 1
गरुड़मवश्चयदतुछः स हि नागः पिड़लोजयति ॥#
, - (पिन्नब्वार्तिककार चन्द्रशेखर)
सम्बत्ू १९२६में कल्कत्ता-मुद्रत हलायुघ दृत्ति-सहितः
प्रिज्ञक सुत्रके आधार पर इसमें आठ अध्याय हैं | जिनमें क्रमश:
१५, १६, ६६, ५६३, ४५, ४२, ३४, ३२ सूत्र हैं। प्रथम
अध्याय “मकाशदि: संज्ञा, दित्तीयमें “पाद, तृतीयमें गायत्र्यादि -
! # पिड़लादिमिराचार्य, यदुक्त छौकिक द्विपां।. है
5. मात्रावर्णविशेदन,' चन्दस्तदिद कप्यते ॥ (केदारमह $
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