ब्रह्म पुराणम | Brahama Puranam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29 MB
कुल पष्ठ :
1426
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० विपय-सूची
अध्याय ४९
इं्धुम्त द्वारा भगवान् को स्तुति
राजा के द्वारा भगवान् की स्तुति। स्तुति-पाठ का फ्ल1 २९८-३२०३
अध्याय ५० 1
ब्तिमोत्पत्ति का कपन
जिन््ताप्रस्त राजा को स्वप्न म॑ भगवान् का दर्शन। प्रतिमा प्राप्ति का उपाय वंताना। प्रात वाल उठ कर
लित्यकर्म बरने वे बाद असहाय राजा का मृति दूढने के छिए जाना। बंड वृक्ष का काटते हुए राजा के प्रति ब्राह्मण-
वेशघारी विष्णु एव विश्वकर्मा काप्रसन। प्रतिमा निर्माण बे' लिए यत्न कर रहा हूँ--ऐसा राजा के' बहने पर भगवान्
बाए प्रस्न हावा और विश्वकर्मा वो तीन प्रतिमा बनाने को आज्ञा देदा। विष्णु बरी आज्ञा से विश्वकर्मा दारा तन
मूर्तियों का निर्माण! कोलुव' व' साथ मूर्ति को देखते हुए राजा का “आप तौन है यह प्रसव । ३०४-३०९
अध्याय ५१
भगवान् ओर इन्द्रयुम्न का सवाद
सर्वेजगनियलृत्व आदि गुणा से युक्त मैं ही पुरुषोत्तम हें--ऐसा भगवान् का वचन। 'राजा वा निर्गुण आदि
गुण विशिष्ट भुगदरएद प्रएप्ति दे! लिए स्वुणिपूवबद परर्यना बख्दा १ भगदान् या 'तथासतु बहकर दरद्ान दना ओए
अस्तर्षात ही जाता। पुरुपोत्तमक्षत्र मं तोता मूर्तियां का शुभ मूहत मे स्थापन। इस प्रकार राजा ने' मतारय वी पूर्ति
एवं विष्णुपई मी प्राप्ति) ब्रह्मा द्वारा पुरपात्तम क्षत्र म आए हुए पच तीर्षों का वधन। ३१०-२१६
अध्याय ५२
माकफडेय सुनि रा बटवृक्ष-दर्शन
मारंणोेय आस्यान वा ऑरप-न्ल्पशव प अनक प्रतार वे! बढ़ा से ब्यादुटुजित्त मावण्डप को बटवृक्ष
का दपत। ३१७-३१८
अध्याय ५३
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