संस्कृत स्वयं शिक्षक | Sanskrit Swayam Shikshak

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Sanskrit Swayam Shikshak by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संस्क्रत का स्वयं शिक्षक हितीय भाग १-प्रथमः पाठः । शक जिन पाठकों ने “सरकृत स्वयं-शिक्षक” का प्रथम भाग अच्छी प्रकार पढ़ा है,झऔर उसमें जो वाक्य तथ। नियम दिये हुए हैं उनको ठीक ठीक याद किया है, तथा जिन्होंने प्रथम भाग के परीत्ञा प्रश्नों का उत्तर ठीक ठीक दिया हे श्रर्थात्‌ जो परीक्षा मे उत्तीण हुए हैं, उनको ही द्वितीय भाग के अभ्यास से लाभ होगा । जो प्रथम भाग की पढ़ाई ठीक प्रकार न कर द्वितीय भाग को प्रारंभ करेंगे उनको पढ़ाई आगे जाकर ठीक ठीक नहीं होगी, तथा वे लोग अपनी संस्कृत में उन्नति नहीं कर सकेंगे । इसलिए पाठकों से प्रार्थना हे कि वे किसी अवस्था में भी शीघ्रता न करें, तथा पहिली पढ़ाई कच्ची रखकर श्रागे बढ़ने का यत्ल न करें | संस्कृत भाषा उन लोगों के लिये सुगम होगी जो “रवय॑ शिक्षक” की शेली के साथ साथ अपनी पढ़ाई करगे। परन्तु जो शीघ्रता करेंगे श्रोर कच्ची भूमि पर मकान बनायेगे। उनको श्ागे 'बहुत मुश्किल में फंसना पड़ेगा | इसलिये पाठक छोगों को उचित है कि, वे प्रथम, द्वियीय, तथा तृतोय भागों में दिये हुए




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