प्रेमचंद कलम का सिपाही | Premchand Kalam Ka Sipahi

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Premchand Kalam Ka Sipahi by अमृतराय - Amratray

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कृपम का सिपजी छ मौर फछता 1] से मी दुर्घल पे। मह॒शीर मक्‍्वड क्सिन थे घरीर भौर मन दोनों से मदबूत। घायद इसीसिए बाप से अपनी मु साठ बँपे माराजी महाबौर कै ही साम शिजबायी थी क्योंकि जोर मौर जमौन ने बारे में मशहूर है कि ये दौनों उमी मादमी क पास एवी हैं जिसका दरौर ताउदबर मौए सखाठी मजबूत होती है। महाबीए सास अयने बाप दे चहते थे सही लेरिम णब मुंणी युरमहाय छास मपनी बौजौ कौ पीट अतते भर बह बेघारी गेजबान गाय कौ तरह भूपच्राप पिटतौ रडतौ सो महाबीर से बपती माँ कौ यह दुईया देशौ न जाती भौर गह पुस्से छे कापते हुए जाकर दोनों हर्पो से झपत बाप कौ यईन दबोच छेते सौर दाँत पौधकर कहते---मग करता है मगर सैंर, बैसौ कोई दुर्घटना रहीं हुए मौर मुंशी युरसहाय कारू एब भी मरे अपनी मौत मरे। सेकिस हाँ महाबौर उसको पकड़कर बाहर घसौट कशूर के बाते । आय दिन यह ताटक पर में हुआ करता सेक्ति मारपीट वल्द रहीं हुई मौर इसी ठरह पटवारगिरी करते ठर्स पीते मौर बौबौ को दुगकते हुए मूंसौ गुरसहाय छास पत्रपत-साठ कौ उप्न तक दिय। यौए घब बह मरे वो दट्टीदारों ने जासरर मुंपौ हरमरायन शास् न जो अपने अाचा के साथ ही ऐरे से रूमहौ माये थे मर जिम्हें एापद मन ही रग इस बात का महारु था कि पटवारगिरी छुइ उनको गर्यों सही मि्ती (जिसके तुप्ठेर में माज यह साठ बौपे माराडी महाबौर खाल के ताम हिती हुए पौ मौर जौ गरौद कौ माँसों में कि की तरह पड़ रही पौ) महाबौर छास को पट्टौ पढ़ाना धुरू किया कि मपर तुम अरनसी जमौन से इस्तौफ़ा दे ठो तो माय मपने बाप कौ जगह पटवारी बन सहते हो। महाजीर कास्त के बड़े माई कौरेए्यर रारू तौस बरस के होकर पहफ हो इस हुलिया से सिपार चुके पे मौर पटबारगिरौ के सीम में उन दिर्तों एसा गुछ कायदा था क्षि बेटा भपर पटबारियान पाप हो तो बाप कौ मही पर पहला हक उसौ का होता था। महजौर सार यों ही दुछ सटर पटर पद ये मौर पटबारियाव पास कसा सो दूर रहा उसके पास फटके रब शहीं पे। रूब्र पट्टीदार्स मे झब पट्टी पद्ायौ तो मद्ाबौर खाछ को जिनकौ मकक्‍त मौ रुतमी ही मौटी पी यह बात फेंच गयी सौर फिर उस्दने किसी स पूछा ल ाँचा यये मौर मपसौ साठ बीपे जमीन से इस्तौफा दे झागे। यूँगी हरमरायन राख कौ माँख का काँटा दूर ही यया1 पटबारगिश न घिछनौ थौ म मिलौ। अब चार्रो माएयों वे बौच्द बस छः बौजा मौत दचौ जो मुदी गुरसहाय शास डपत पोले यानौ महाऔर के बैटे बहदेश कार के भाम मशम से सित गये ये।




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