दिल्ली सल्तनत | Dilhi saltnat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सियेपर अरब जाद्रमण व समय हमारा ”श ६ शवितशानी शासर भा ये। यद्यपि लाग जपना जाति में हा विधाह करत थ पराजु ज'तरजानीय विवाह भां प्रचतित थ । मध्य भारत मे जधिवतर पाग शांवाहारी थ । व ने विसी जीव जन्तु वा ह या वरत थ जौर न शराब पाते थ। व ध्याज जार जहसुन भा नहा साथ थ । इस प्रात के निवासी उत्तर पश्चिमी भारत वे लागा का पृणततया शबद्ध नहीं समझत थ। तांगर उजाद्धत वा नही मावत थ और चाप्यत लाग जब बभी याजार म अथवा उतच बर्या व जागा व बाच से जात थे ता वे जकता बजाहर अपन जान वा सूचना दत थ। स्वियाँ बहुत बम पदा वरती था; उच्च श्रणा के स्त्रिया शासत और साप्ताजिक जीवन मे महत्त्वपूण भाग लता था | ऊच घरान वी तर्किया बा उच शिक्षा भा दी जाती थी । स्वयवर का प्रथा भी प्रचजित थी । उच्च श्रणा वे लागा मं बहुपत्नांत्व वा रिवाज था परतु स्थिया का पुनविवात की भी आता ने थी। शासत्र परिवारा मे सती वी प्रथा बहुत लाक प्रिय हाती जा रही था । देश मे विशेषकर माय दश मे जाबोटों घना था । छांगे सपृद्धशाला जौर सुखी थ । उसतवी जाथिव हशा बहुत अच्छी थी। धन बुछ हा वागा के बीच सप्रहात होता जा रहाथा जा बात्तव मे चहुते ही अमोर 4। बनो लोगा द्वारा साववलिय संस्थाएं स्थापित बरता और नियना वा कप्ठी का दर वरना एवं प्रकार का धामिक कताय माना जाता था । वे जाग सडबें प्मशालाए और नये सर्वोपयागी इमारत वनवात थे। जनस्ाधारण के उपयाग व लिए बगाच जगान और हुए आटि खुदबान बा भी रिवाज था। उस समय टानशालाए था जहाँ “यक्तितया का भोजन और निवास स्थान मुफ्त मिलता था । रागियां को चिकित्मा के लिए खयती जस्पताद थ। साग अपना प्यायपियता और त्यालुता व लिए प्रसिद्ध थ 1 सार दश मे पारशालाएं और विद्यालय थे । साग॑ सुशिक्षित थ | नाताहा ओर वह्लभा वा विभवविद्यावय दश यो प्रमुख शिक्षा-मस्थाएँ था ] इनक अतिरिक्त काशा म॑ बिहार में (उतत्पुर तथा विक्रमशिला) और उत्तर व दक्षिण भारत वा धामित स्थाना मे भा शिला-सस्थाए या । मालवा मे धार वामते स्थान में सस्कृत का बहूत बस विद्यालय था । एसा हो एब' दूसरा विद्यालय अजमर मे भी था । ज्यानिष सैघा क्ाप्र विषाना के लिए भी विद्यातय धं। वन तथा अजय घामित साहित्य पुराण और घम शास्ता व जतिरिस विनान ज्यातिष और चिकित्सा झारत्र आटि विषया भा भी शिक्षा इन सस्याआ मे दा जाना थी | 'उपयुवत विवरण से स्पए् है वि जरब आवध्रमण के समय देश वे लागा वी आधथिब', आध्यात्मिय' क्षीर सास्‍्कृतिय दशा चास्तव मे अछी थी। राज्या




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