हेमू और उनका युग | Hemu Aur Unka Yug

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Hemu Aur Unka Yug by मोतीलाल भार्गव - Motilal Bhargav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हदिपम प्रदेण ] [९ हैमू के वराज-- इस दिपय मे जो एमरै ठपा बणाबसी उपसब्ध है उससे महीपाक्त के बंधजों का पता असता है । हैमू की सृत्यु नि सस्तान हुए शेषा उनके भाई शय पझप्डोराब के पता अज़ता है। महीपास के पुत्रों में जिलोश चबख हाय मारायचदास तपा चौपरी सापमल थें। महीपास का माम समकासीस इतिहासकार्सो के सखा मं मिसता है। इस प्रकार तीत के सलख बताय जाते हैं उनमें से दा क ममुसार बह हमू का मतीजा प्रमाशित होता है। उनके पुत्र हापमल का प्रदत्त फरमान की मृस्त प्रति सामूं बर्म मित्र न प्रस्तुत की। यह बर्म मित्र स्वय॑ अपन को जिसाक पघरग्ट्र व बशजो की १३ वीं पीडी में बताते बे । हस्तशिश्षित पुस्तकों म प्विकस्त सिधि भ महीप्रास लिखा हुमा था। साथ धर्म मित्र क्री छान बीस * अमुठार सषस करत बालो से बरपास सिश्ल हिया। बह काई ध्म्द शहीं है। महीपास बी मस्ताशों के पूराते बंध बन्ष में--मूरिस-मासा---सर्वप्रेप्ट लिखा है। उपशोक्त अंसादक्षियों का धर्नन प्रयाग क पष्डा राजा राम के बंधजो के पास सुरक्षित बह्निपों में प्राप्य है। उसमें यह कलाहिय दूसर करके लेख बढ़ हैं।




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