श्री जातकाभरण | Shri Jatakabharan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
414
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है डे
भूमिका ।
सपदन्लल्-मस
वाचकबंद ! सारतवर्षकी इस गिरी हुई दशासें भी यदि ऋषि-
योकी भ्विप्युवाणीके यथार्थ होनेमें कुछ धत्वक्ष प्रमाण है तो वह
ज्योतिष शास्त्र हे, यद्यपि इस शाह्लसें कहे हुए प्रत्येक विषय सत्य
हैं; परन्तु महण, दृष्टि इत्यादिका निर्दि््ठ समयमें होना इत्यादि
मुख्य सुख्य वात जिस प्रकार छोगोंके विश्वासको इस शाखतरकी
सत्यतामें दृढ करती हैं, अन्य विषय बैसे नहीं | जो कुछ हो, अभी
भारतवर्षसें अनेक सनुष्य इस वातको नि्विवाद स्वीकार करते हें
कि-उक्त शाख्रकी भूत, भविष्य ओर वर्तमान किसी भी वातमें
सन््देह नहीं हे। शाखत्रोंमें लिखा हुई सभी बातें सत्य हैं। उनमें
लाम्यतम जो कुछ दोष छोग छऊूगाते हें वे सनुप्योंके आलस्य, कम
परिश्रम करना इत्यादि दोपोके कारणसे हैं | अब भी कितने ही
गणक अपने शाखत्रमें इतने निप्णात मिल सकते हैं कि, वे इस
विद्याके मर्मको जानते ओर सन्दिग्धोंके संशयोको निर्मल करते हैं!
यहां हमको संक्षिप्त सूचना “ जातकामरण ? के ब्रिपयर्म देनी है ।
गोदावरी नदीके समीप पार्थनेगरके निवासी गणकवर श्रीडण्डिराजका
बनाया हुआ यह अन्ध जन््मपन्नीके लिखने अथवा उसके फल
कहनेंम अत्युपयोगी है । जातकादि अनेक अंथोंको देखनेका कुछ
भी परिश्रम उस मनुप्यको न करना पड़ेगा जो केवछ इस ग्न्थको
भलीसाँति पढ़कर कण्ठस्थ कर छे। एुक ही गन्धसे जन्मपत्नी
लिखने वा फल कहनेमे परम सुभाता हो इस आशयसे हसने इस
User Reviews
No Reviews | Add Yours...