खूबचन्द चिकित्सा | Khubchand Chikitsa

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Book Image : खूबचन्द चिकित्सा  - Khubchand Chikitsa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका +-+०२-- / धम्मौर्थकाममोक्षाणामारोग्यं मूडकारणम्‌ । *” क्रयौत्‌ भारोग्यता यामी तन्दुरस्ती ही ससारके चारों पदाये धरम, बर्थ,काम,मोक्षकों पैदा करनेत्ाकी है,वही तम्दुरस्सी बिना भौपधियोंके जाने हासिक नहीं होसक्ती इसलिये सबसे पहिले “जौपधिका जानता सबका फरजे हैं ताकि तन्दुरस्ती कायम रहे । इसवार्ते सर्येसाधारणके उपकाराधे श्रीमान्‌ कृमक्षत्रियवशावतंस छाछा ख़बचरदजी आनरेरी मर्जिष्दटने भनेक गुणवान्‌ साधु महात्माओंस भौर अनेक ऐसे प्रन्थोंसि जिनका पत्ता भी न था उन सबके 'द्वारा सम्रह करके तथा ४० वरषतक गात्रिदिन इसीमें लगाकर जो औपधिया खास उनके इस्तेमालमें भौर तजमैंमे थाई और जिनका काम रात्रिदिन अपने देशमें नियादः पडताहे उनकी शोध- न विधि इस्यादि हस्तक्रियासे तजबे. करके तरह तरहके रोगोंपर चुन चुन कर औपधियां सम्रह कीं, परन्तु प्रबल इशवरकी इच्छा ्रधीन उनके परमधाम पढ़ेजानेसे उससमय बह ग्रन्थ मुद्रित न होसका । इस धरमोण सम्रदरत्नसे छोग वद्चित न रहें यथाय ढाभ प्राप्त कर और ग्रथकर्ताका परिश्रम भी सफल हो यह विचार करके इसे श्रीमान्‌ पण्डित गुमानीछालक्षम्मा वैद्यजीसे झुद्ध कराके और मुद्रित कय्रकर आशा करनाहूँ कि सजन महोदय इस अमूल्य सम्रहसे छाभ प्राप्तकर मुझे झनुग्रहका पात्र बंनाबेंगे । ऊपाभिलापी, बलदेवप्रसादवर्म्मा,




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