शिवराज विजय | Shivraj Vijay

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
17 MB
                  कुल पष्ठ :  
662
                  श्रेणी :  
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)का 900099०७9०-७9७०७० न्न्न्न्य
ि
8 विपरीत इसके, शिवराजविजय में, भाषा उत्तमोत्तम, ओज- ॥
; स्विनी भी, अर्थपूर्ण भो, सुवोध्य भो, ययास्थान, यथावसर, उद्दाम 0
६ भी, कोमल भी । नवोरत भी इसमें वहुत औचिती भौर दक्षता से ;
; खज्े है, दीरस्त, जिसका अर्वाचीन सस्कृत-साहित्य में प्राय अभाव
ही है, वह इस ग्रन्थ मे प्रधान है, शड्भार भी है, और सर्वथा
| सात्विक, सुदछील, कोमल, प्रीति रूप, कही भी अश्छीलता आते
नही पाई है, युद्धो के प्रसंग में रौद, भयानक, वीभत्स का, और
वीर के सम्बन्ध में अद्भुत का, रुप बहुत पर्याप्त मात्रा में दिखा
ः दिया हैं। राजनीति और चार-चातु्य और रणकौणंक का भी ।
: निह्पण बहुत सुन्दर है। सर्वो्परि गृण इसका यहू है कि विषय
$ ऐतिहासिक, अधिकाश वास्तविक हैं, कपोल-कल्पित-नही, '
1 देशभक्ति, जम्म-भूमि-भक्ति, प्रजा की राज-भक्ति, राजा को प्रजा-
९ भवित, दोनो की धर्म-भक्ति, और भारतीब-रा्रीय-भाव से भरा है,
: पिल भावों का अर्वाचीद सस्कृत ग्रन्यों में सर्दथा अभाव हैँ ।
/ 2 में जान नही सकता कि क्यो पण्ित मण्डली में अब्लीलता-
े पूरे, 'हजदू-आजष्टपद-पूर्ण' माघ किरात आदि काव्यो की इतनी
! महिमा है, और इस रलमूत ग्रन्थ से ईष्या नही हो विमुखतता है !
३ “पका जितना अधिक प्रचार हो उतना बच्छा है--
   
    
  
   
   
 
 
 
भगवानदास:-
 
					
 
					
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