पउमचरिउ भाग - 2 | Paumchariu Bhag - 2

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Paumchariu Bhag - 2 by देवेन्द्र जैन - Devendra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ पठमचरिउठ कैकेयीका सभामण्टपमें जाना २७ ओर वर मोगना २७ दशरथ द्वारा रामको वनवास २७ भरत द्वारा विरोध १६ दशरथ सो समाधान ३१ संधि कवि हारा फिरसे स्तुति ३१ भरतकी तिछककर रामको बन गमन की तैयारी 2३ दशरथकी सत्यनिष्ठा ३३ रामका अपनी मॉसे वि मॉगना १५ कौशल्याकी मूर्छां और विछाप ३५ मॉकी समभा-बुकाकर रामका प्रस्थान र्७ सीताका भी रामके साथ जाना ३६ लक्ष्मणकी प्रतिक्रिया और पिता- पर रोप रे६ रामका रूद्मणको समभाना और ढोनोका एक साथ वनगमन ४१ सिद्धवरकूटमें विश्राम ४१ जिनकी वन्दना डरे शमका सुरति युद्धदेखना. ४५ बीरान अयोध्याका वर्णन. ४५ रामका गम्भीर नदी पहुँचना तथा नदीका वर्णन ४७ राम द्वारा सेनाको वापसी. $ दक्तिणकी ओर प्रस्थान ४७ सैनिकोंका वियोग-दुख ४६ चौवीसवीं संधि अयोध्यावासियोका विदाप.. ४६ राजा दशरथको सन्‍्यास लेनैकी घोषणा प्र भरतकी हठ ५१ दशरथ द्वारा दीज्ञा लेना. ५५ उनके साथ भौर भी राजा दीक्षित हुए उनका वर्णन. ५४ भरतका विलाप और रामको मनानेके लिए प्रस्थान पछ भरतकी रामसे लौव्नेकी प्रार्थना ५७ रामदद्वारा मरतकी प्रशसा ४६ कैकेयी का समाधान घर भरतका लछोटकर रामकी माताको सममभाना ६१ रामका तापस वनमें प्रवेश ६१ धानुष्कवनका वर्णन ६१ भीलवस्तीम यम और लक्ष्मण का निवास ६३ वनके बीचमें प्रवेश ६३ चित्रकूदसे दशपुरनगरमें प्रवेश ६४




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