नारायणी शिक्षा | Narayani Shiksha

Narayani Shiksha by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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से ( ६ ) न्स्सखर विषय पृष्ठ-सेतव | आन रा १७ 1नेत्यकम ०“. ४६-पज्चु रुसों का त्याग और दोष-पल्न यज्ञ, ब्रह्मयज्ष, गायत्री सन्‍्त्र की प्रशंसा, गायत्री का एक होना, दो काल संध्या का विधान, आचार को आवश्यकता, गायत्री का अधथे बेंद्‌ पाठ ॥ शैर१३३८ १८ देवयज्ञ । ५०-अशगौिहोत्र का समय, अभिहोत्र के लाभ, अग्निहीत्र का ३३८३४६ त्याग और दोष ॥ १९ पितृयज्ञ । ५१-पिठ्यज्ञ से लाभ, सचा श्राद्ध और तपेरा, वत्तेसान समय का श्राद्व और तपेण शद्भूायें और दोष, रुदुवचन के लाभ नमस्ते शब्द का निणेय और प्रणाम, बलिवेश्देव ॥. ३४श३६९ २० अतिथिलेया । ५२-अतिधथि सेवा के लाभ, अतिथ सेवा का त्याय और दोष सच्चे अतिथि, वत्तेमान समय के अतिथि और उन से देश की दुदृशा ॥ ._.. ३६७५३५४ २१ पुराणपरीक्षा । ५३-पुराणों का समय, पुराणों की असस्भव बातें, पुराणों में परस्पर विरोध, पुराण और वेदों में विरोध, वत्तंसान या प्राचोन समय के युराण व उपपुराण, वेदों का देखर कृत होना ॥ ३५४॥३८८ २२ मूत्तिपूजाबिचार । ५४-सृत्तिपूजा की व्याख्या ॥ ३८८४४ . शह त्योहार । ५५८-श्रावणी, दशहरा, दिवाली, देवोत्यान, बसन्त, होली ॥ ४००४९१ >_ अक2222द5454442 42026 ८4:45: एट/तकता: करा ५




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