शब्द शक्ति | Shabda-shakti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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+ जी... न तर ही का... सक्रिय. फ्री ... शाम. का नै जल निकियनपलनकडि कपिट बल नल हें... निया. जय हब अल मत १ हैं. हक दाग. स्टेज किमेध्सिय नि उठी दर है कडिजिरिसिददेजयटन्यदिस आर डावंदिकप सप हिन्द न डिक हाथ ह् सदर शेतनसनप्हे र ्ं ि पूरव--पीठिका श्राचाय सम्सट समय समय--वाग्देवतावतार आचार्य मम्मट की राजानक उपाधि इस बात को स्पष्ट करती है कि वे एक काश्मीरी आचार थे । सुधा सागर के टीका कार भीमसेन दीक्षित का आधार ग्रहण करते हुये पीट्सन महोदय ने बताया है कि आचार्य मय्यट कय्यट के छोटे भाई एवं उव्वट के बड़े भाई तथा जय्यट के पुत्र थे । कथय्यट महाभाष्य की प्रसिद्ध टीका प्रदीप के टीकाकार थे उव्वट ने प्रातिसांख्यों पर टीका लिखी थी भोलादांकर व्यास के अनुसार उव्वट मम्मट के बड़े भाई नहीं हो सकते क्योंकि उव्वट ने अपने पिता का नाम वख्ट लिखा है जय्यट नहीं । मि० हाँव भौर बेबर ने मस्मट को निषधीय चरित्र के कर्ता श्री हृुष॑ का मामा बताया है। यदि इस प्रचलित किम्बदन्ती की सत्यता में विद्वास कर लिया जाय तो. मम्मट के समय निर्धारण में सरलता हो जायगी । ए) महाकवि श्री हुषें के आश्रयदाता जयचन्द्र थे । इतिहासकारों ने जयचन्द्र का समय बारहवीं शताब्दी निश्चित किया है । अतः श्री हु्षे का भी समय यही होगा और मम्मट से इनका सम्बन्ध होने के कारण मम्मट भी इसी शताब्दी के आचाये रहे होंगे । ल्‍ (४) हेमचन्द्र ने काव्य प्रकाश के बहुत से उद्धरण अपने ग्रन्थ में दिये हैं आचायं हेमचन्द्र का समय १०८० के आस पास माना गया है । (पं) मम्मट ने भोज का वर्णन किया है और भोज का समय भी १०५५ के आस पास है । अत इन ऐतिहासिक आधारों पर यह सिद्ध हो रहा है कि मम्मट और श्री हष॑ समकालीन नहीं हो सकते क्योंकि दोनों के समय में इस हिसाब से काफी अन्तर प्रतीत होता है । मम्मट की स्थिति श्री हर्ष से पुव॑ं और लगलग १०२५-१०७५ के बीच में जान पड़ती है । (ए) काव्य प्रकाश के अध्ययन से ऐसा प्रतीत होता है कि आचाय मम्मट रुद्रट भभिनवगुप्त और महिमभट्ट आदि आचार्यों से परिचित थे १. ध्वनि सम्प्रदाय और उस के बाद पृष्ठ ४८० हूं... फेलटश भोजनूपतेस्तत्याग लीलापितमू




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