श्री गिरधर गणेश भवन | Shri Girdhar Ganesh Bhawan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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__ ॒_ि॑ _॒_॒॒ट॒उ॒च॑उ््ेभभत8-+7 ( २ ) इनके नल 3०नन मनन >म न ननन नमन न नमन +++ िससिनिनन नियत नितई- “नमन नमन + न गण 77 77777. प 7777 ०७ 9... इन. हा (७ ५ 0 आच हा यों करा भज्नन गीत और ख्यालों की धुनि रागणी को ले के हरिजस बना के ठपाये है तिम में दुद्टि की भुल होय तो कृपा कर मुधार लें प्वाजि अभी के समय में मनुग्यों की वृद्धि ख्याल और गीतों पर बहुत शत म्ज 5 ण प न जे श्र ने पते हा का लगती छह इमनलिये हरीजस उसी धुनि प॑ होने से भांक्त में बुद्ध प्रवत्त होगी तब नि|णि पद को वांचने से वैशग्य उत्पन्न द्वोगा? वेराग्य होने में विषयादिकं की निशूृति द्वोगी तब लिन्नासा होने से ज्ञान की प्राप्ति ज्जायगी' तो परमानन्द के प्राप्त हेजायगा यह ग्रन्थ का सिद्दान्त है, भ्रर तरचुमा 17७ मगुगास्कन्ध नग एक मे। दम परो २२ १०० निगुंग निसफंद परी २४ ८० शिज्ञामागर परी १६ कट ब्ब्प [2] ४० एिट्ठान्ट्योग परी ४ १०० निर्वाण निमरणी प्रो २० इम ग्रन्थ में उपर लिखित विपय हैं और पीछे से अलग २ पांचों शासत्न टपेगा ज्निम में मक्र २ जास्त्र में नग २५० परी ४० छपेगी । जिम मच्जनपुरुष के इस पुम्तक के लेने की आवश्यकता होवे तो नग्ति ठिक्रणे से मगा लेब ॥ सग्ण महाजन छगनलाल मह्ेष्वरो रइम णह्र जाधपुर मारवाड़ टिक्कागा गागेनाव तलाब के पद्ाड़ ऊपर कोठी छगनविलाम




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