तुलसीदास और उनकी कविता भाग 2 | Tulsidas Or Unki Kavita Bhag 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
556
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४२९५७ )
माठ घड़ा |
स्वामि दुसा लखि लखन सखा कपि,
पिघले हैं आँच माठ मानो घिय के ।
( गीतावली )'
इत्यादि
गुजराती
राजपूतानी के बाद गुजराती भाषा के शब्दों की संख्या
ठुलसीदास की प्रारम्भिक रचनाओ में अधिक मिलर्त; है। जैसे।--
मूकना <- छोड़ना ।
पालो तैरो हक के परेहूँ चूक मूकिये न।
( कवितावली )
मोगी>-चुप |
सुनि खग कहत अंब मौंगी रहि
सम्ुक्ति प्रेम-पथ न्यारो।
( गीतावली )
जुन -- जीण, पुराना |
का छति लाभ जज्न धनु तोरे |
( बालकांड )
लाधे >-पाया |
काडू न इन समान फल लाघे।
प्र ( बाल-कांड )
इ्द्यादि,
बंगला
कुछ शब्द वेंगला के भी मिलते हैं| जैसे |---
'लेटना + निभना, परीक्षा में पूरा उततरना |
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