तुलसीदास और उनकी कविता भाग 2 | Tulsidas Or Unki Kavita Bhag 2

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Tulsidas Or Unki Kavita Bhag 2  by रामनरेश त्रिपाठी - Ramnaresh Tripathi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामनरेश त्रिपाठी - Ramnaresh Tripathi

Add Infomation AboutRamnaresh Tripathi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ४२९५७ ) माठ घड़ा | स्वामि दुसा लखि लखन सखा कपि, पिघले हैं आँच माठ मानो घिय के । ( गीतावली )' इत्यादि गुजराती राजपूतानी के बाद गुजराती भाषा के शब्दों की संख्या ठुलसीदास की प्रारम्भिक रचनाओ में अधिक मिलर्त; है। जैसे।-- मूकना <- छोड़ना । पालो तैरो हक के परेहूँ चूक मूकिये न। ( कवितावली ) मोगी>-चुप | सुनि खग कहत अंब मौंगी रहि सम्ुक्ति प्रेम-पथ न्यारो। ( गीतावली ) जुन -- जीण, पुराना | का छति लाभ जज्न धनु तोरे | ( बालकांड ) लाधे >-पाया | काडू न इन समान फल लाघे। प्र ( बाल-कांड ) इ्द्यादि, बंगला कुछ शब्द वेंगला के भी मिलते हैं| जैसे |--- 'लेटना + निभना, परीक्षा में पूरा उततरना |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now