अथ श्री हनुमन्नाटक | Ath Shri Hanumannatak

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Ath Shri Hanumannatak by रामस्वरूप शर्मा - Ramswarup Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २८ ) ँ हतुमन्नाटक । यदि यह त्रिकोकी को अभय दान देने में दाहिने हाथ का सहारा देनेबाले दिव्य मर्ति सयेकु तिलक श्रीरामचन्द्र जा अब्र लेते तो क्षत्रियों का नाइ हि वु रामचन्द्र जी अवतार न छेत तो क्षत्रियों का नाश करने में शीत्रता करनेत्राठे रहभावान्‌ के शिष्य परझुराम के कठआर से छिल्नमिन्न हुईं सकढ क्षत्रिय मण्डली के रुघिर से गीली हुड्ट इस प्रथ्वी म॑ कौन चरण रख- सक्ता था, ५२ ॥ ड़ रामः पश्चवाजामद्म्यचरणकमलयानपत्य- उत्पांचजमदध्तः से भगवान्दव; पिनाको गुरु- वीये यंत्त न यद्विरामनुपर्थ व्यक्त हि तत्कममिः । त्याग: सप्तममुद्रमुद्वितमहीनिव्योजदानावधिः सत्यबह्मतपोनिधे मगवतः कि कि नलोकोत्तरम्‌ ॥५३॥ रामचन्द्र ( अनन्तर परशुरामजीके चरणोंमें गिरकर ) हे सत्य ब्रह्म और शारी- . रिक तपके निधान भगवन्‌ ! आपमें एसी कौन वात है जो अलौकिक नहीं अथात्‌ : सबही अलौकिक है, आपका जन्म जमदग्नि ऋषिसे हुआ है, प्रसिद्ध भगवान्‌ . पिनाकधारी आपके गुरु हैं, और आपकी जिस पीरताका वाणियोंसे कहना नहीं बन सकता वह आपके कत्तेब्योंसेही प्रकट होरही है, ओर आपने तो सातों समुद्रोंसे घिरी हुईं सकल एथ्वीको निष्कपट भावस दानके द्वारा त्याग दिया ॥ १३ ॥ सदय॑ परशुसमः । माता का न शिशोवचांसि कुरुते दासीजनोक्तानि या कस्तातः प्रमदाप्रतारितमतिजीनाति छृत्यं नयः । कश्वायं भरतश्रियामविधिना यो राजते दुर्नयो व्यापेधाथमधिज्यधन्वनि मयि श्रीरामभुत्ये स्थिते ॥ ५४ ॥ परशुराम ( दयामे भरकर ) एंसी कनिसो माता ह जो दासीजनोंकी कही हुई अपने वाढुकका वातांकां एूरा नहा करता ? एसा कोन पिता हैँ जा ल्रियांस अपना बद्धिकों ठगाकर करने न करने याग्य काका नहा जानता है, आर धरमबुद्ध तथा




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