गिरिधर रामायण | Girdhar Ramayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
74 MB
कुल पष्ठ :
1448
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)' गिरधर-क्ृत रामायण २छ
पद्म-पुराणे प्रसिद्ध कहावे; पद्म रामायण नाम छे,
बगदाल्व ऋषिए करी छे, आश्चर्यपूरण काम छे । १२ ।
वक्की धर्मराजाएं करी, ते धर्मं-रामायण खरी,
एम अनेक कवि आगे थया, तेणे रामायण घणी विस्तरी । १३ |,
अपार गुण रघुवीर तणा, ते पार को पामे नहि,
बुद्धिता अनुसार प्रमाणे, वर्णवी कविए कही । १४।
भूमि रजकण, गगन तारा, बिंदु घन जाए गण्या,
पण माप-संख्या थाय नहिं, छे अपार गुण रघुवीर तणा | १५
सुधा जरसिंधु भर्यों ते, कहो केम पिवाय ?
एक चंचु जछथी तृषा वामे, पक्षी सुखियों थाय। १६।
एम करूं आदर अल्प बुद्धे, कहेवा रामकथाय, क्
अंतरजामी कृपा: करजो, ग्रंथ प्रण थाय॥ १७१
सहु कविने पाये नमुं, कर जोडी माशुं मान,
बाछृूक जाणी दया आणी, देजो हरिगुणदान | १८।
में जो रामायण (उपलब्ध) है, वह अब अरुण-रामायण (कहलाता)
है। ११५। पद्म पुराण के अन्तर्गत जो प्रसिद्ध रामायण कहा जाता है,
उसका नाम पद्म-रामायण है। “बगदाल्व ऋषि ने जो (रामायण) तैयार
किया, वह आश्चयेंपूर्ण कार्य है। १२। तदनन्तर धर्मराज ने जो रचा,
वह धर्म-रामायण अच्छा है। . इस प्रकार पूर्वेकाल में अनेक कवि हो गये ।
उन्होंने रामकथा का बहुत विस्तार किया.। १३। रघुवीर राम के ग्रुण
अपार (अयथाह) है। उसका पार कोई नहीं पा सकता। (इसलिए
अपनी-अपनी ) बुद्धि के अनुसार प्रमाण मानकर कविओं ने वर्णन कर कहा
है। १४। भूमि के धूलि-कण, आकाश के तारे, बादल से गिरनेवाले
जल-कण गिनाये जा सकते है। पर मापने (गिनने) के लिए (ऐसी)
कोई संख्या ही नहीं है, जिससे रघुवीर राम के गुण नाप या गिनाये जा
सकेंगे--इतने अनन्त है रघुवीर राम के गुण | १५। अम्रत समुद्र में - भरा
हो तो कहो, उसे कैसे पिया जाए ? एक चोंच भर जल से ही प्यास कम
होती है (बुझती है) और पक्षी सुखी हो जाता है।।१६,।- इस प्रकार
में अपनी: अल्प बुद्धि के अनुसार रामकथा कहना , आरम्भ कर. रहा हूँ ।
अन्तर्यामी भगवान् कृपा, करे और यह ग्रन्थ पूर्ण हो जाए 1१७ । सब
कवियों के चरणों का नमन कर, मैं हथ जोड़कर (उनसे) विशेष सद्भाव
की याचना करता हूँ कि मुझे बालक समझकर (मुझपर) दया करो और
हरि के गुणों का--उन्हें समझने की योग्यता का-दान दो | १८७। हरिनाम
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