कल्याण मार्कंडेय पुराण | Kalyan Markandeya Puranam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
78 MB
कुल पष्ठ :
782
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दरगंति-नाशिनि दुर्गा जय जय, काल-विनाशिनि काठी जय जय ।
उमा रम्ता ब्रह्माणी जय जय, राधा सीता रुकिमिणि जय जय ॥
' साम्य सदाशिव साम्ब संदाशिव साम्म संदाशिव जय शंकर |
हर हर शंकर दुखहर सुखकर अप-तम-हर हर हर शंकर ॥
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण क्रृप्ण कृष्ण हरे हरे ॥
जय जय हुगों जय मा तारा | जय गणेश जब शुभ-आग्राग ||
जयति शिवा-शिव जानकि-शम । गोरी-शंकर गीता-राम ॥।
जय रघुनन्दन जय सिया-राम । व्रज-गोपी-प्रिय राधेस्याम ॥
रघुपति राघव राजा राम । पतितपावन सीता-गप्त ॥
कोई सजन विज्ञापन भेजनेका कष्ट न उठायें ।
कव्याणमें बाहरके पिज्ञापन नहीं छपते |
समालेचनाय पुरकें क्पया न भेजें ।
कल्याणम समालोचनाका सम्भ नहीं है |
३६४०४ ) जय पावरक रवि चन्द्र अयति जय। सत्-चित्-आनंद भूमा जय जय ॥ | दस्त अट्ठका
-विदेशमें॥०) | गये जय विश्वरूप हरि जब। जय हर अखिलात्मन जय जय || कि )
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