कल्याण मार्कंडेय पुराण | Kalyan Markandeya Puranam

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Kalyan Markandeya Puranam by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दरगंति-नाशिनि दुर्गा जय जय, काल-विनाशिनि काठी जय जय । उमा रम्ता ब्रह्माणी जय जय, राधा सीता रुकिमिणि जय जय ॥ ' साम्य सदाशिव साम्ब संदाशिव साम्म संदाशिव जय शंकर | हर हर शंकर दुखहर सुखकर अप-तम-हर हर हर शंकर ॥ हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण क्रृप्ण कृष्ण हरे हरे ॥ जय जय हुगों जय मा तारा | जय गणेश जब शुभ-आग्राग || जयति शिवा-शिव जानकि-शम । गोरी-शंकर गीता-राम ॥। जय रघुनन्दन जय सिया-राम । व्रज-गोपी-प्रिय राधेस्याम ॥ रघुपति राघव राजा राम । पतितपावन सीता-गप्त ॥ कोई सजन विज्ञापन भेजनेका कष्ट न उठायें । कव्याणमें बाहरके पिज्ञापन नहीं छपते | समालेचनाय पुरकें क्पया न भेजें । कल्याणम समालोचनाका सम्भ नहीं है | ३६४०४ ) जय पावरक रवि चन्द्र अयति जय। सत्‌-चित्‌-आनंद भूमा जय जय ॥ | दस्त अट्ठका -विदेशमें॥०) | गये जय विश्वरूप हरि जब। जय हर अखिलात्मन जय जय || कि ) विदशस 4दाध्य 0 गिल | जय बिराह जय जगतते।गौरीपति जय रमापते॥ (१३ शिक्िजष) ' 5010१ ॥४ पक्रात्राए79880 धयागमग्रयेलामनााभााता तक #।का का ५१ न यतनाभ इक पाक भाकन मे ९०१4९ ते 0. 1,, 003७8४४, , ००४७०, श्र 1 छू: 4.., 91011 शिंगालं बाते ?फ्18100 ॥४ क्राभाएबता तै॥ [बा ॥। 116 (0109 71088, 0०चाधा।क, 0, 7, (ते; )




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