यौन व्यवहार अनुशीलन | Yaun Vayvhar Anushilam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ही श्छ् चिपय-प्रवेश कोइ किमी को बठाय या न बताएं योदन वी दस पर पाँद पे हो हर बाई यह जान जाठा है कि बह करा श्रा पहुंचा है। उस दटूरी तक पहुंचने से पहल यदि किसी का बता दिया जाए तो उसे विश्वास नहीं हाता लेविन भाषु की वह विधिप्ट सीमा रखा बॉविय ही टन भ्रविश्वसनीय बाहों पर थडान करन के निए सदसा ही उयका जी चाहने लगता है। लगता है उन सब दातों क॑ समक चेन की श्र प्टि उममें श्रा गयी ट्ै। ई रहस्य है जो उसके भ्रग अग में समा गया है। वह रदस्य उसके तन को भेद कर बाहर निकलना चाहता तु उसे माग नहीं मिलता | मानो उसकी काया एक भनवदूभी-सा पटनी बनी हुई है और उस पहेली का जसे वोई हल नहीं है। किशोर भोर किशोरी की समझ म नहीं घाता कि उनमे यह चान कहाँ से फूट पड़ता है? कया ये भाव पहले स ही उनम विद्यमान थे था उनकी भनुभूति उ हू पहली दार हुई है । उनकी नजर बदल गया ही है या सलार ही में कुछ परिवतन भरा गया है। यह सब गया है कया हर




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