समन्तभद्र ग्रंथावली | Samantbhadra Granthavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)-38 ] स्वयम्भूस्तोत्रम् 19
26) पद्मप्रभ: पद्मेपलाशलेश्य पद्मालयालिज़ितचासुमूरति. ।
बभो भवान् भव्यपयोरुहाणां पद्माकराणामिव पद्मबन्धुः ॥
27' ब्भार पद्मा च सरस्वती च भवान् पुरस्ताठतिमुक्तिलक्ष्म्या: ।
/' सरस्वतीमेव समग्रशोभा सर्वज्ञलक्ष्मीज्वलितां विमुक्त. ॥
28) शरोररश्मिप्रसर' प्रभोस्ते बालाकेरश्मिच्छविरालिकेप । '*
' नरामराकीणणसभा प्रभा वा शैलस्य पद्माभमणे: स्वसानुम् ॥
29) नभस्तल पललवयल्निव त्व सहुखपत्राम्बुजगर्भाचारे ।
(पादाम्बुजे. पातितमारदर्पों भूमो प्रजानां विजह॒थे भूत्ये ॥
30) गुणाम्बुधेविप्रषमप्यजस्य नाखण्डल' स्तोतुमल तवर्ष' । 7
प्रागेव मादृक्किमुतातिभक्तिर्मा बालमालापयतीदमित्यम् ।।
31) स्वास्थ्य यदात्यन्तिकमेष पुसां स्वार्थो न भोग परिभडगुरात्मा ।
तृषोध्नुषड्भान्न च तापशान्तिरितीदमाख्य:्भगवान् सुपारर्व: ॥
32) अजज्भम जज्भमनेययन्त्र यथा तथा जीवधृत शरीरमू । _,
» » बीभत्सु पूति क्षय तापक च स्तेहो वृथात्रेति हित त्वमारूुयः ॥
23) अलड॒घ्यशक्तिभेवितव्यत्तेय हेतुद्याविष्कृतका्यलिज्भया । ,,«
, अनीश्वरो जन्तुरहक्रियाते: सहत्य कार्येष्विति साध्ववादी' ॥
34) बिभेति मृत्योन ततो5स्ति मोक्षो नित्य शिव वा>छति नास्य छाभ+ ।
तथापि बालो भयकामवश्यो वृथा स्वय तप्यत इत्यवादी ॥
स्वस्थ तत्त्वस्थ भवान् प्रमाता मातेव बाल्स्य हितानुशास्ता-।
गुणाबलोकस्य जनस्य नेता मयापि भक््त्या परिणूयतेड्य ॥
36) चन्द्रप्रभ चन्द्रमरीचिगौर चन्द्र द्वितीय जगतीव कान्तम । ,.
वन्दे5भिवन्य महतामृषीन्द्रं जिन जितस्वान्तकषायबन्धम् ॥॥ द
यस्याज़ लक्ष्मीपरिवेशभिन्न॑ तमस्तमोरेरिव रश्मिभिन्नम्-1 , -
ननाश बाह्य बहु मानस च॒ ध्यानप्रदोपातिशयेन भिन्नम ।।
38) स्वपक्षसौस्थित्यमदावलिप्ता वाकसिहनादेविमदा बभूवु. ।
प्रवादिनों यस्य मदाद्वंगण्डा गजा यथा केसरिणो निनादेः ॥
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