षट्खंडागम खंड 9 | Shatkhandagamh Khand 9
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
495
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सिरि-भगवंत-पुष्फर्दंत-भूदवलि-पणीदो
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छदखदागसा
सिरि-वीरसेणाइरिय-विरइथ-धचला-टीका-समाण्णिदो
तस्ख चउत्थे खेंडे चेयणाए
कदिअणियोगद्वारं
सिद्धा दद्धइमला विसुद्धबुद्धी य लड़सचत्था ।
तिहुवणपिरसेहरया पसियंतु भडारया सब्बे | १ ॥
तिह॒वणभवणणसरियिपच्चक्खवबोहकिरणपरिविे ।
उद्यो वि अणत्थवणो अरहंत-दिवायरों जयऊ॥ २ ॥
आठ कमरूपी मलको जला देनेचाले, विशुद् चुद्धिसे संयुक्त, समस्त पदार्थोको
जाननेवाले, तथा तीन छोकके शिखरपर स्थित ऐसे सब सिद्ध भट्टारक प्रसन्न होगे ॥ १॥
जिसका प्रत्यक्ष शानरूपी किरणोंका मण्डल निशुवनरूप सवत्तमें फैला हुआ है,
हो जो उद्ति दोता हुआ भी अस्त होनेसे रहित है, ऐसा अरहन्तरूपी सूभे जयबन्त
॥२॥
कु, क, १६
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