संस्कृत का स्वयं शिक्षक भाग 3 | Sanskrit Swayam Shikshak Bhag 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
231
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ईस पुस्तक का अभ्यास करन का अकार |
( द्वितीयभाग अच्छी पकार तैयार होने के पथराव
इस पाठ को प्रारम्भ कीजिए |
(१ ) प्रथम -एक पाठ आद्योपान्त पढ़ छीजिए ।
(२ ) तत्पश्चात् उस में दिये हुए व्याकरण के भाग
* को बिशेष ध्यान पूर्वक पढ़कर व्याकरण की बातें यथावत्
सब स्मरण कीजिए
(३ ) पश्चात् जो बातुओ के रूप घनाकर दिये होंगे
उन को स्मरण कीजिए । विशेष कर इन रूपों को कण्ठ करने
“को आवश्यकता नहीं, परन्तु २०१ २४ धार ध्यौन से पढ़ ऋर
डनकी विशेषताओं को स्मरंण रखना चाहिए ।
*. (४) पश्चात् परस्मैषद, आव्मनेपदू, और उभयपद के
चाठु अलग अलग है) उनकों अलग अलग स्मरण करना
चाहिए। धातु अध प्रथम संस्कृत में देकर पश्चात् फोप्ठ में
भाषा में अर्थ दिया है । इन अर्थो को २५। ३० यार ध्यान से
देखने से ये अर्थ स्मरण रहेंगे ।
(६ ) पाठकों को उचित है कि वे प्रतिदिन पांच घातु-
आ४ के रूप सब कारों में बनाकर उन को छिखकर रखा कर।
इस प्रकार करने से घातुआं के रुप भूलेंगे नहों। धातुओं के
रूप यथावत् जानना हो संरुक्वत माफ का ज्ञान प्राप्त करना है,
इस्त लिये इस चल के जिपय में आलस्य नहीं दोना चाहिए ।
« (७) भत्येक पाठ के चाज़्य कम से कमर दुस चार पढ़ने
चाहिएं। ओर ज्ञो संहकृत का पाठ हो उस्रकों २५ बार बड़ी
आवाज़ में अवश्य पढ़ना चाहिए। यदि कर न हो तो इस
पुस्तक के छब एछोक ऋण्ठ कीजिए, जिससे बहुत लाभ होगा ।
User Reviews
VIJAY SHANKAR SAH
at 2023-04-15 01:42:37"Easy way to memorise ."