वैदिक चिकित्सा | Vaidic Chikitsa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)) ९६.
ही
बैदिक चिकित्सा
>
बेदम अनैक प्रकारकी, चिकित्सा-पद्धतियाँ वर्णन कीं हैं। ' किसी
चिकित्सा पदधतिका दर्णन विस्तारपूर्दक दैं भर किसीका सक्षेपसे दै।इन *
सब चि8$रेस्सापदवियोंकों दक स्थानपर संयुद्दीत करना, सनका विचार
और सन फरके झजुमव छेना कौर उनका सार्वेत्रिक प्रचार करना, उत्तम
ज्ञानी वैधकाददी काये है। किसी स्थानपर, चेदकी परिभाषा साधारण
मलुष्यके समझमें नहीं माती, उसका भकाश छानी वैद्यके अंत.ऋरणमें ही
होना संभव है । इसलिये विचारी वैद्योफ़ो इस वैदिक चिकित्सा पद्धतिका
झ्वश्यददी मनन करना चाहिए ।
चेदकी विविध चिकित्स+-पद्धतियोंक्ा सूक्ष्म विचार फरनेसे पता लगता
है कि वेद इन चिकित्सा-पद्धतियोंद्वारा मजुष्यको स्थूछसे सूक्ष्म सच्वतक
के जा रहा हैं । धच्चे धमेका यही मुख्य भभीष्ट दे कि बद भजुष्योंको
स्पूछकी अपेक्षा सूक्ष्म शक्तियोंके विषयमें मघिक प्रेम उत्पन्न करे । स्यूल
पदार्थों भौर शक्तियोंका कान सलुष्यकों स्थूछ दाश्से होता ही रहता है।
क्योंकि यद्द प्रत्यक्ष है। साधारणतः सलुष्यकी प्रवृत्ति प्रत्यक्ष स्यक्त और
इश्यमें रमदी है, विशेष फारणके विना मजुष्य स्र्यक्ष, कम्यक और
लदृइयके पीछे नहीं दोडना चाहता ( जो मनुष्य दिचारकी भांखपरे साष्टिका
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