वैधक शिक्षा | Vaidik Shiksha

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Vaidik Shiksha by श्री नगेन्द्रनाथ सेन - Shri Nagendranath sen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दर] (१) [ भार ँ कुसुम,छश, | श्रत्य--हि० पोपरहत। दाना । अशद्यो-हि छोटा पपल। अरशक्षार्पमो-टिग्वनकपा। | अधन-“हहि० भंसन। अरखकुलणिका--हिं.. बत- | अमितवखूक--हि० फालो दुप कुरथो। ब'० बनकुनल। हरिया। आख्यगोरक--हि० बनझौरा। | अड्वोट-छि० ठेरा टेग। ब० अरखसूरण--हि “जप ली सरण अरिमिद--हि० छितवर। अक-हिं० प्राक, मदार, श्रा- क्रडा। वं० भराकन्द। | । घन भायहा। अद्विकेव-हि० भफोम, भ्रम आए । ब ० घढ़िफित । अ्रट्कम--हिं० आदी, भरद्रका ञ्ा ब० भादा। अग्रोश्-द्वि० प्रशोक्रा। वे « | ब्राकाशमांसो-हिं* आाजाग अशोश । जढाम्रामों | अशास््क-- ० सिरहटा,भप्ति श्राएुकर्णी-हिल सूमाकर्णी । सिलीरा। |. बन इटूरक्ादियाना,आाली- अगखुस--दि० मफ़े ' मोकधों, |. दन्ती। मऐ्तेट कोयल। ब० हाप९ | भाखुवाबाण--हि० मोमरल। माली । शेतग्रपराजिता। | प्रादक्ो-छिल् अरहर, रहते। अद्गखा-हि० अमान | ब० ( अदितप्रव--ह० ग्राटि्यपवा अख़गखा। आदित्यमज्ञा-हि० सोचशो, पझावकायरिका--हि० घोड़ेका इु'इुज्ञा घरा। आमनकी-हि० आमना, श्रार सरा। ० आामनझो । श्रामु -हि भाम । अग्वकण--हि० छीटागाल ( धेन दाज, घास । है विलय ८ ० ५-८ +-+ 820 ा ० कप जम 2




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