भोजप्रबन्ध | Bhojprabandh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
291
श्रेणी :
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पंडित बस्तीराम - Pandit Bastiram
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पंडित वल्लाल - Pandit Vallal
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ भेजप्रवन्धः ।
भया । पह (पुचर)नव पांच वर्षका भेया तब(उसका) पिता
अपनी दृद्धावस्था जानके मुख्य मंत्रियोंकी चुलवा, छोटे
भाई महावली मुंगकी देख और वाहक पृत्रकों देखके
विचार करता शया । कि जो में राज्यकी ऐश्र्यको
धारण करेंगे समर्थ भाईकी त्यागके राज्यकी पुत्रके वारते
दूँगा वो छोकापवाद ( छोगेमें निंदा ) होगा। अथवा मेंरे
बालक पृन्नको, मुंज राज्यके ठोशसे विष आदि देकर
मरवा दालेगा | तब दिया हुआज्ी राज्य वृथा होगा।
और पत्रकी हानि वथा वंशनाश होगा ॥
छोभः प्रतिष्ठा पापस्य प्रसूतिरोभ एव च॥,
द्वेषफोधादिननको ठोभः पपस्य कारणस्॥१॥
छोज पापकी प्रतिष् ( मूल ) है, छोभही प्रपकी उत्पत्ति «
“' है और द्वेष ( बेर ) कोप आविकोकी उसस्न करनेवाला
टोभ, पाएका हेतु है 01॥ . * *
ढोभात्कोषः प्रभवाति क्ोधाद डोहः परव्तते!
देहिण नरक याति शाद्चज्ञोपि विचक्षणं:॥२॥
लोमसे कोध होता है, को पसे दोह होता है फ़िर दोह कर-
नेसे शाख्की जानवेवाला पंडितशी नरकको जाता है॥२॥
“मात्र पितरं पुत्र आतरं वा सुदतत्तमण॥ .
छोंभाषिशे नरो हँति स्वामिनं वा सहोदरम॥३॥
लोभसे भरा हुआ (आत्तक्त हुआ ) नर, माता,
पिता, पुत्र, भाई, अत्यंत मित्र, स्वामी, सहीदर भाई इन
सोंको मार डालता है॥ ३ ॥ 1
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