हिन्दुस्तानी संगीत में गायन के विभिन्न घराने का समीक्षात्मक अध्ययन | Hindustani Sangeet Me Gayan Ke Bibhinn Gharane Ka Samikshatmak Adhyayan

Hindustani Sangeet Me Gayan Ke Bibhinn Gharane Ka Samikshatmak Adhyayan by प्रो. उदय शंकर कोषक - Pro. Uday Shankar Koshakस्वपना चौधरी - Svapana Chaudhari

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

प्रो. उदय शंकर कोषक - Pro. Uday Shankar Koshak

No Information available about प्रो. उदय शंकर कोषक - Pro. Uday Shankar Koshak

Add Infomation About. Pro. Uday Shankar Koshak

स्वपना चौधरी - Svapana Chaudhari

No Information available about स्वपना चौधरी - Svapana Chaudhari

Add Infomation AboutSvapana Chaudhari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
1 चाहिर कि सारी साष्टि संगितमय हैं इसी कारण अगवान ते नारद सै कहा हे- नारद वसा भि वैकुण्ठे यौगिनां हृदये न च । ममकता यत्र गायन तत्र तिष्ठाथि नारद ।। प्रत्येक कला की हम दो सागों मै बांट सकते है १ माषपत २ कला पर ९ भाधपष़ा वीक नपवदीकि बगगवद नंगे लीक ऐ जम कद की कतनग भावपक से अभिमाय उन विचारों से हे जिन्हें कोई लेखक बथ्ता कछपकार दुसरों के सामते रखना चाहता है । २- कछापदा कलापकाा से अधिप्ाय उन विचारों को सुन्दरतापुर्वक रखे सै है । इसी का दूसरा नाम रेंठी है । ये बात अश्य है कि विणयों मैं मावपन्ना प्रधान रहता है बथाँत भावना या विचार का प्ाधान्य और शेठी मैं कला या अभिव्यथ्ित का ़ार प्रधान रहता है । संगीत पुर्णह्पेण क्रियात्फ है । शेठी का तात््पय उंग से है साहित्य में इसका काफी प्रयोग हुआ है । साहित्य में पांच कार की शैठी मानी जा सकती है | १- सरल शी २ श्रंकछा मुक्क शी साक सोगवक वलविक वगिया पिसि) यदोवय- आदाइंक चना? गरातावणा आलध पडता या मय अन्विकगण चकित पपिलिक गवरनितों गॉलिलीय रजल्लार बिल ६- साहित्यरत्न ठैस्क (ढा० लक्मीनारायण गणेश क्तिपरी ढा० आफ म्यूजिक




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now