अर्थशास्त्र शिक्षण | Arthshastra Shikshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अयंशास्त्र का परिचय छ (१) सर्वप्रथम मनुष्यों को आवश्यकताओ का अनुभव होता है तथा इन की कोई सीमा नहीं है । (९) डितोय यह है कि इन आवश्यकताओं को पूर्ण करने के साधन सीमित हैं । (३) अन्तिम यह कि इन सीमित साधनों का अनेक प्रकार से उपयोग हो सकता है । बहुत से आधुनिक अर्थशास्त्रियो ने रोविन्स की विचारधारा का समर्थन किया । स्टिगलर के अनुसार “अर्थशास्त्र उन नियमों का अध्ययन है जो प्रति- स्परद्धी आवश्यकताओं की अधिकाधिक प्राप्ति के लिए सीमित साधनों और उनके वितरण को नियत्रित करता है 1 प्रो० केयनंक्रोस (0810८7085) के विचार भी रोविन्स से मिलते-जुलते हैं । इनके अनुसार, “अर्थशास्त्र मानव व्यवहार पर अपूर्ण साघनों के प्रभाव का अध्ययन उन परिस्थितियों मे करता है जत्रकि मातव के पास अपने सीमित साधनों के द्वारा प्रतिस्पर्धी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए उनमे वितरण की स्वतन्त्रता होती है ।”* आलोचना--परन्तु प्रो० रोबिप्स और उनके साथी भी समालोचकों की हृष्टि से न बच सके । डरबिन (0एा910), फ़े जर (सि8$टा), बुटिन (/00160) तथा बेवरिज (8८४८2) जेसे जर्य॑-शास्त्रिया ने माशंल के सिद्धान्तो की प्रबलता से रक्षा की । बुटिन (फ़00160) का कथन है, “अयं-शास्त्रियों के लिए यह बहुत ही कठिन है कि वे अपने विवेचन से अर्थशास्त्र के मादश का पूर्ण अपहरण करें ।”* प्रो० फ्रेजर (856) का मत है कि, “अर्थशास्त्र मुल्य-सिद्धान्त था साम्य- विश्लेषण से कही अधिक है ।”* 1... 8८००णाए105 15 भी&. डणपए 0. प६. फाफटोएाट5. ठ0शटाणाट (८ 8110081100 0 5220६ घाट्य05 808 00ा0061718 हातंड छ.॥८0 (६ 00]&८घ४६ 0 घा[0०80100 15 (10. प्रावद101156 द6. घ2ि1000601 01 6 हघत5, ” 2... ए८००0105 15 फिर इंपए# 0. 16. उरपद्ाएट 0 इ0पातं।# 00 छफ्ताओ ८तपचैएटा घा लाटप्ताइदाएट पाटाट प्राहए वव४८ रिट्ध्तेणणा एव दाणट पा 811002108 52घा06६ 800 ०0006 कण 3... पा हू भ्टाए ठीफिट्णों। (0 त1र६5६ पिटा ऐघ2प्55005 ०णापफर८1४ जा हो ठाउपएट डाहुफपीट3पए८ 4... “हिटणाणा॥॥०$ 15. 50 फिट फाणद फिपाए 8 पाफ्ट (पिथण] 0६ सपुण्णिकाएपा 33 फुडाड




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