मजिझम निकाय | Majijhm Nikay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40 MB
कुल पष्ठ :
714
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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प् छ
पु १
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जज
४
तास
( ४ ) चूल-वेदछ
( ५ ) घूल-धम्प समादान
( ६ ) सहाधम्स-ससादान
( ७ ) वीमंसक
( ८ ) फोसंबिय
( ९ ) बह्म-निमंतनिक
(१० ) आार-तज्नीय
[ सम]
विषय पृष्ठ
आत्मवादु त्याज्य । उपादान-स्कंध । अष्टोंगिक-
सागे। संज्ञावेदित-निरोध । स्पशे, पेदुना,
अनुशय । १७५९
चार प्रकारके धर्मानुयायी । १८४
घर्मानुयायियोंके भेद । १८ ६
शुरुकी परोक्षा । १८५९,
मेल जोलके लिये उपयोगी छः बातें । १९१
बुद्धद्वारा सष्टिकर्ता इंडवर त्रह्माका अपमान । 1९४
सान-भपम्तानका ल्थाग (क्रकुसंध छुछका उपदेश' )।
सहासोद्गब्यायनका सारको फटकारना १९८
२--सज्मिस-पर णएसक -
६ ( १ ) गहपति-वग्ग।
( १ ) फन्द्रक
( २ ) भ्रद्धक नागर
(३ ) सेख
( ४ ) पोतलिय
( ५ ) जीवक
( ६ ) उपालि
( ७ ) कुककुर-वतिक
( ८ ) अमय राजकुसार
( ९ ) बहुवेदनीय
(१० ) अपण्णक
७ ( २ ) भिवखु-वग्ग
( १ ) अम्बलट्टिक-राहुलोवादु
( २ ) सहा-राहुलोबाद
( ३ ) चूल-मालंक्य
( ४ ) मसहा-सालुंक्य
(५ ) मद्दाकि
( ६ ) लकटिकोपस
( ७ ) चातुस
( ८ ) नरूकपान
( ५ ) गुलिस्सानि
ग
२2०५-४४
स्पृति-प्रस्थान | आत्प्ततूप आदि चार पुरुष । २०७
ग्यारह अरूत द्वार ( ध्यान ) २०८
सदाचार, इन्द्रिय संयस | परिसित भोजन ।
जागरण । सद्धर्स । ध्यान । २१०
व्यवहार (>संसारके ज॑ंजाल )के उच्छेदुके उपाय । २१४
भांस-भोजनसें नियम २२०
सन हो प्रधान, काया ओर वचन गोण । २२२
निरथ्थक ब्रत । चार प्रकारके कर्स २३१
लासदायक अशभ्रिय सल्यको मी बोलना चाहिये । २३४
नीर-क्षीरसा मेल-जोल । संज्ञा वेदित-निरोध । २३७
द्विविधा-रहित धर्म । अक्रियवाद आदि सत-वाद ।
आत्मंतप आदि चार पुरुष । २३५
२४७५-७८
सिथ्या मापणकी निन्दा २४५
प्राणायाम । कायिक भावना । श्ेत्री आदि
भावनाय । २४८
बुद्धने क्यों कुछ बातोंकों न व्यास्येय, भर कुछ
फो व्याख्येय कहा । २७०१
संसारके बंधन और उनसे सुक्ति । २७४
नियसित जीवनकी उपयोगिता। क्रमशः शिक्षा । २८५७
छोटी वात भी सारी हानि पहुँचा सकती है। २६२
भिक्षपनके चार चिन्तन । २६७
मुमक्षके कर्तव्य । २७१
अरण्य-वास व्यर्थ, यदि संयम नहीं । २७३
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