नाटकधर्मप्रकाश | Natakdharmaprakash

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Natakdharmaprakash by चंदनलाल - Chandanlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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#8 भूमिका, कमाना, वीकन्ना मं उस इश्वर परमात्माकों धन्यवाद देता है कि जिसने मुश्नसे म्तिमंदको एक उत्तम अग्रवालवंशम जन्म दिया और अनुग्रह करके लाला जमेयतरायजी स्वगंवासी- रोहतकनिवासीके गृहमे उत्पन्न किया कि जो श्रीगोस्वामीतुल्सीदासजीकी रामायणके अत्यन्त प्रेमी थे, जिनकी उत्तम शिक्षासे मुन्नसे शठक्रोमी रामचरणमें प्रीति हुई. में देश आर जातिकी उन्नातिर्क विषयम ड्रामा लिखा करता था, परंतु मेरे ज्येष्ठ श्राता लाला उमरावरसिहनी व छालाकुन्दनछालजीने मश्तकी यह उपदेश किया कि इस वाणीहपी मवरीको रामचरित्ररूपी मकरन्दसे पोषण करना योग्य हे ओर लालाकैशनलालजी, लाला रिलालजी, लाला मुन्शीलालजी, पं? जरामदासजीने जो आति- सज्जन पुरुष ह ओर अपने वेष्णवधमेपर सावधान हैं, तन मन धनसे उद्योग करके धमके प्रचारके निमित्त एक कम्पनी वना दी जिसका नाम रामलीला थिएट्रिक्ल कम्पनी रखकर इस दासको इसका मनेजर वना दिया. प्रिय सज्ञनों ! इसी कारण यह श्रीराम जानकीजीका चरित्र रचा गया है, आश्ञा हे कि ज कुछ भूल चूक ही गई हो उसको बृधजन सुधार लंगे. ओर इस दासकों अपना पुत्र लखकर कृताथ करेंगे, सज्ञनोंदी सेवामें यहमी निवेदन है विवाद आदिक उत्सवपर जिस कसी भमक्तजनकों रामचारित्र श्रवण करनेकी अभिलाषा हो तो यह कापनी उसके ग्राममे आके श्रीरघु- नाथजी महाराजके गुणानुवाद वर्णन कर सकती है. सजनोंका सेवक- चन्दूनलाल मेनेभर, रामलीला थिएट्रिकल कम्पनी पुत्र छाला जमैयत रायर्जी शरिस्तेदार स्वगेवासी रोहतक मोहला-बाबरा,




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