ब्रह्मसूत्रम् | Brahmasutram

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Brahmasutram by स्वामी भोले बाबा - Svami Bhole Baba

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about स्वामी भोले बाबा - Svami Bhole Baba

Add Infomation AboutSvami Bhole Baba

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पविपय पृ पं 6 शासयबोनित्यापिकरण है।१।श३ [४० १२२-१११ ] शास्त्रयो।गित्वात्‌ु ((१॥६॥६३ गृतीय अधिझरणक प्रथमयर्णसार तृतीय अधिकरणका द्वित्तीयवर्णकसार रा अथधम वर्णेकाठुसार सूत्रार्थका प्रतिपादस ह्ितीय घर्णफानुसार सृप्रार्थका प्रतिपादग रु सम्रन्ययाधिकरण १।१॥७।४ [ ४० १३२-२३१३ 3) तच समन्वयात्‌ १४२ घतुथ अधिकरणफा प्रथमयणकसार चतुर्ध अधिफरणका द्वित्तीययेफसार ब्रद्मफे शाखप्रमाणकत्वपर आछ्षेप व चेदान्त क्रिया-विधिके अह्न हैं कब पेदान्त उपासना के अद्ज हैं है सूत्रका व्याख्यान ब्ू चेदान्त क्रियाविधिके अद्ढ नहीं हैँ बह बेदान्त उपासना विधिके अन्न नहीं है न यृत्तिकारफे मतसे पृवपत्त न उक्त पूर्वपक्षका सण्डन मोक्ष शह्ासे मिन्न नहीं है आत्मतत्वज्ञानसे मिथ्याज्ञानका नाश होता है श्रह्मान्मैकत्वविज्ञान सम्पदादिरूप नहीं हे मोक्ष उत्पाय, विकाये, आप्य तथा संस्काय नहीं है क्रियासे ज्ञान विरक्षण है आत्मा द्रष्टव्य.” इत्यादि विधितुल्य वचनोरा प्रयोजन-कथन सम्पूर्ण बेद कार्यपरक है इस मतका सण्डन आत्मा केवल उपनिषदोसे ही आना जाता है दधि आदि शब्दोंके समान वेदान्त भी सिद्ध बस्तुका बोध कराते हैं निपेघवाक्योंके समान वेदान्त सिद्धार्थका प्रतिपादन करते हैं ब्राह्मणों न हन्तव्यः इत्यादि वाक्योंम् निषेघका अथ > जिसको 'मैं अक्ष हूँ ऐसा ज्ञान दो गया है, वह पूर्वेकी तरह संसारी नहीं रहता १२२- १ १२२ - १० १२३- ४ १५१६-९२ १३० - २ १३२० १ १३१२- ११ १३३- ४ १३४ - २ १३५०-२९ १४० - ४ १४१-४ १४५० ३ १४७- ४ १०० > + श०८ - ह १६६ - १७० “ रे १७३ - *े १८१ ०-४ १८८ - ४ १९२० ४ १९५ - ४ १९७-५ २०१० *२ र०४ - हे २०७५ ०- ४ र१० ०५




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now