जीवन रक्षा | Jivan-raksha
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.38 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७ जीवन-रक्ता उऊररू खाकर उसे खोखला कर जिससे थोड़े दी दिनों में पानी छगने लगता दै दाँतों में दर्द होता है और असमय में दी वे गिर जाते हैं । दूसरे--लार को दूपित कर उसके साथ पेट में जाते हैं और अझनपच कठ्जियत व्वर खाँसी शूल अतीसार एवं अमि- मांय पैदा कर देते हैं । ्धिक मजयूत वालक भी दाँतों की गन्दगी के कारण शीघ्र दी दुवले और रोगी हो जायेंगे । साथ ही आगे चठकर चटुत तरदद के रोगों के शिकार दो जायेंगे । सधिक ठंडे और गरम जल से कु करना हानिकारक है कुछा करने के लिए सदा मामूली ठंडा जल ही लेना चाहिए । कु्ा करते समय इस चात का ध्यान रखना जरूरी है कि मुँद का कफ अच्छी तरदद साफ दो जाय । घहुत से चालकों को पान खाने की ादत पड़ जाती दे । यदद ध्यादत किसी-किसी को चुत बिगाड़ देती है और लड़के पान की मेल दाँतों पर जमाने लगते हैं । दाँतों पर पान का रंग जमाना बड़ा चुरा है. इससे चट्कर दाँतों को खराब करनेवाली दूसरो कोई भी वस्तु संसार में नददीं है । पान खाने से घालकों का उच्च रण खरा दो जाता है। वे लुवलाने लगते हैं। आगे चलकर तुवलाइट की चीमारी दो जाती है । पान के रेशे दाँतों के बीच सें पढ़कर सड़ने लगते हैं सुंदर से घद्यू निकलती है और लोग ऐसे घालकों से छूणा करने लगते हैं । पान में जो चूना रददठा है चद्द दॉँवी में जमने उगता है । चूने में दोंतों को खा जाने की एक दिशंप शक्ति रददी दै। पान खानेदालों के दॉत चहुतत ही जल्द
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