श्रीमद् भगवत गीता भाषा | Shrimad Bhagawat Geeta Bhasha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
240
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रिफंड - पक कक
हर कं 12, ..
भी जाता है ! अन्तवंत है ! है अर्ज़न तू इनको संहार । हे श्रेष्ठ द
- अजुन जिनकी इन्द्रियों के सुख 2 ओर हु!ख अपनी निश्चलता
से चलायमान न कर सके 5 लिन््हीं रुप ने अम्रतपान किया है.
... सोई पुरुष अमर हुए हैं। हे अर्जन ! यह जो समस्त देह में
.. आत्मा व्यापा है तिसको तू अविनाशी जान ! यह किसी के
कद्दे मारा नहीं जाता। यह अन्तवंत है शरीर उपजते भी हैं
. और विनाश भी होते हैं हैं और आत्मा नित्य है। अमर है फिर
.. कंसा निराहार है. हा खाता पीता नहीं ओर आत्मा की
मर्यादा भी नहीं कि कितनी हैं इस कारण है अजुेन युद्ध करके
कोई कहे अम्मक को मैंने मारा है, सो वह दोनों कुछ नहीं
सममभते नाही मरा ओर न किसी ने मारा हे आत्मा केसा है ।
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