अपना चरित्र निर्माण आप कीजिए | Apna Charitra Nirman Aap Kijiye
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र
चाहिए । तभी यह हितकारी काम कर सकेगा ।
भगवान बुद्ध भिक्षा-पात़् लेकर उसके सामने गये ।
नवयुवक ने पूछा-“तुम कौन हो ?” भगवान बुद्ध ने
उत्तर दिया-“मै एक मनुष्य हूँ, ऐसा मनुष्य जो अपने
को वश में रख सकता है।”
नवयुवक ने पूछा--/इसका क्या अर्थ है ?”
महात्मा बुद्ध ने उत्तर दिया--/धनुप बनाने
वाला धनुप बनाता है और जलयान का चालक जल-
यान को वश में रखता है; भवन-निर्माण करने वाला
ऊँचे भवन खड़े करता है, और बुद्धिमान अपने आप
को वश में रखता है ।”
'. नवयुवक ने पूछा--/कैसे ?”
भगवान् ने उत्तर दिया--“यदि लोग उसकी
प्रशंसा करें तो उसका मन शान््त रहता है; यदि
लोग उसकी निन्दा करें तो भी उसका मन शान्त
रहता है । वह सद्व्यवहार के श्रेप्ठ नियम का आदर
करता है और सदा शान्त रहता है 1”
बावर ने गुरु नानक को बुलाकर बड़े कठोर
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