अपना चरित्र निर्माण आप कीजिए | Apna Charitra Nirman Aap Kijiye

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Apna Charitra Nirman Aap Kijiye by श्यामचन्द्र कपूर - Shyamchandra Kapur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्र चाहिए । तभी यह हितकारी काम कर सकेगा । भगवान बुद्ध भिक्षा-पात़् लेकर उसके सामने गये । नवयुवक ने पूछा-“तुम कौन हो ?” भगवान बुद्ध ने उत्तर दिया-“मै एक मनुष्य हूँ, ऐसा मनुष्य जो अपने को वश में रख सकता है।” नवयुवक ने पूछा--/इसका क्‍या अर्थ है ?” महात्मा बुद्ध ने उत्तर दिया--/धनुप बनाने वाला धनुप बनाता है और जलयान का चालक जल- यान को वश में रखता है; भवन-निर्माण करने वाला ऊँचे भवन खड़े करता है, और बुद्धिमान अपने आप को वश में रखता है ।” '. नवयुवक ने पूछा--/कैसे ?” भगवान्‌ ने उत्तर दिया--“यदि लोग उसकी प्रशंसा करें तो उसका मन शान्‍्त रहता है; यदि लोग उसकी निन्‍दा करें तो भी उसका मन शान्त रहता है । वह सद्व्यवहार के श्रेप्ठ नियम का आदर करता है और सदा शान्त रहता है 1” बावर ने गुरु नानक को बुलाकर बड़े कठोर




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