परमात्म प्रकाश प्राकृत दोहा | Paramatm Prakash Prakrit Doha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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( २१ ) |
कम कलंक से रहित होकर परमात्मा स्वरूपकी प्राप्ति फो ही
ज्ञानी लोग मोक्ष कहते ऐसा तू जान ॥
देसण णाण अनन्त छुहु, समठ ण तुद्दद जाप ।
से परसासउ मोक्ख फलु, पिज्जउ अत्यिण ताप ॥ १३९॥
फेषल दशन केवल ज्ञान अनन्त सुख अनन्त चीये आदिक
म गुण सोक्षके फलदह और यह फल कभी अलग नहीं होते
अथाद् नित्य रहतेहें और इनके सिचाय और कोई फलनहींहै ॥
जीव मोक्पाहिं हेठ परु; देसशण णाण चरित्तु |
ते पुण तिण्णावै भ्रप्पु मुणि, गिच्छई एहउ वुत्ु ॥ १३१७ ॥
व्यवहार में सम्पक् दशन सम्पक् ज्ञान सम्पक चारित्र घहनीन
भोक्षके कारणहँ और निश्चय में शुद्ध आत्माही मोक्षका कारणहै॥
पिच्छह जाणह अग्राचरइ, अप्प अप्यड जोणि। ।
देसण णाण चरित्त जिउ, मोक््खाहिं फारएा सोजि॥ १६८ ॥
जीचर आपही अपनी आत्मा को देखताहैे जानताहै और भन्नु-
भवन फरताहै इस हेतु एक भात्माही जो दशन ज्ञान और चारित्र
है मोक्षका कारणहै ॥
पे पोलइ पवहरु णउ, दंसण णाशा चरित्तु।
तैप्रिमार्णाहणीव तुह, जें पर होहे पवित्त ॥ ११९॥ 1
व्यवहार नयका यह कथनहै कि सम्पक् दशन सम्पक् ज्ञान और
सम्पक् चारित्र इनतीनों को तू अच्छी तरह जान जिससे तू पविन्न
होजाबे ॥
दब्बई जाणें; जहूँ ठियेई, तह जगि मण्णइ जोजि |
अप्पाह केरए भावहउ, अ्रविचलु देसशा सोजि ॥ १४० ॥
जिस प्रकार जगद् में द्रच्पस्थिते हैं उनको उसही प्रकार यथावत्
जान कर अपनी द्ंद्ध आत्मा में निम्चल स्थिति हाना सम्पक्
दशनहै ॥
दच्ब३ ,जाणह ताइ छह, पिहुयणा भरिवड जे(ई।
आई विणासावे विज्जियहिं, णीयाहिंपमाणेय एह्ि1४१ ॥ |
द्रब्य जो तीन लोक में भरे हुवेह चह कै ६ हेंडनका आदि और £
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