कविता में जीने का सुख | Kavita Main Jeene Ka Sukh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
500 KB
कुल पष्ठ :
70
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ब्रसममकश हो या मेहनतकश
सभी शब्दों से जुड़े है
हम एक दूसरे दे सामने
यूयृत्तु मुद्रा में
शब्दों की बुनियाद पर ही ग्यड़े हैं
जहाँ हर सुद्दे पर
अपनी-अपनी ट्स्मिदारी + सवाल जड है
समय को बॉटने की ज़िम्मेदारी
शब्दा की नहों--
इमारी है
दरअस्ल, शब्दां का न ता बोइ धर्मक्षेत्र है
और न कोइ बुरुक्षेत्
यह तो सिर्फा हम हैं--
जो शब्दशीपी चेहर आढे हुए
शब्दा वी आड में
एक शब्द वी ओर से
दूसर शब्द क सिलाप लड़ रह हें
और शब्द क्रान्ति वी भृमिका में
बजौफ एक सेमे से दूसरे खेमे तक टहल रहे हैं
माल्तुम नहीं--
यह कसा फल्सफा है
जिसक हर रूपज्ञ पर हमारे हिस्से का आसमान खफा है
फिर भी
शब्द कविता म॑
मनुष्य होन वी यत्रणा तराशते हुए
सलीय दर मलीब झेलते टगे रहते ह
लेक्नि जय भी
कसी हमदद दास्त बी तरह
हमारे करीब हते हैं
इम बेहद सशनसीब हाते हैं | ०
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