बाल प्रवेशिका भाग 2 | Bal Pravesika Bhag 2

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Bal Pravesika Bhag 2 by प्रभुदास बेचर दास पारेख - Prabhudas Bechar Das Parekh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७] अडह चंद्र ऊपर करी, अक्षन थीं सुस्त कार 1 अक्तत पट? को मांगु में दादा के दरचार ॥ अच्तत पूजा करतों थका, सफल करू अवतार फल माय प्रभु आगले, तार तार मुझ तार ॥ सासारिक फल मांगता, भटक्यों वहु ससार। अएप्ट कर्म निवारबा, माय सोच फल सार ॥ चिहु गति भ्रमण ससार मा, जन्स-मरण जजाल । पचस गति विश जीवने, सुस्त नहीं तीनु काल ॥ दर्शन ज्ञान चारित्र का, करु आराधन नित्य। . सिद्ध शिला को ऊपरे, हो मुझ आतम सिद्ध” ॥ नल * सिद्ध स्थान (मोक्ष) कौ २ सिद शिला छ्‌ छ कं £ दशन फूट 0 0 0 ४ ज्ञान के का फ्फफफद ४ चारित्र र्ट फफ ६ मल्ुष्य । फ्रफक्रफफ्फफ ७ देव (८ फ्््फ मिर्च ॥ छि पा पु ८ तियच 12 *फ्रफ्फ््क फ् ६ नरम




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