श्रृंगार शतक | 1451 Shringaar-satak (1947)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.86 MB
कुल पष्ठ :
402
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शरड्वार-शतक [ ४
जिसे अपने आधीन करने की आज्ञा देती हैं, बह उसको अपने
पुष्पायुध से क्राबू में करके, अपनी स्वामिनियों के हवाले करदेता
है। कामदेव ही नहीं, स्वयं परमात्मा स्त्रियों के इच्छानुसार
चलता है । अ गरेजी में एक कहावत है --“ए19 फ़0एएक्रार
फा]8, 06. कर! 8 ” जो खरी चाइती हैं, घही परमात्मा चाहता
है। ब्री और परमात्मा को एक ही इच्छा है ।
दोहा
विधि हरि हरहु करत हैं, ख़गनैनी की सेव ।
चचन झ्रपोचर चरिंत गति, नमो कुपुमसर देव ॥ १ ॥
सार--कामदेव ने ब्रिलोकी को ख्ियों का गुलाम
बना रखखा हैं ।
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पराडमुखरद्ध कटाक्षवीक्षण: । _
चचोमिरीप्याकलहेन लीलया |
समस्तभातरै: खलु बन्धनं ख़िप! ॥२॥।
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