वीर पंजाबी | Veer Panjabi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.88 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथम धारा _
पा
जय मे
व्याखिर च्लने की /ातिया
च्ञ गा मे रे सन
सुम्दे होश की बीमारी दै | हक ह ०दुख
यहां दवा की. तैय्यारी है ॥ ० 39
्ज ््क
प्रझृति--लाडला रण में $ :सीफि;
पांच लड़ा गजरा दुनियां ' कौर
छालवेला पंजाब खिला है ।
दूँढे भी मुक को न मिला है॥
ं यहां प्रक्मति भी मद में साती ।
हरी-भरी पग-पग _ इठलाती ॥
जिसने देखी छृत्य कला है ।
_ और न दाथो' दिल निकला है ॥।
्ख
दे न्थ्स्थ अर दी
भारत का सूयद्वार झार रलेक बाहु
पंजाब पश्धनद आयें क्षत्रियों का भूल-स्थान है; यहाँ की
त्तन्नाणियां कोख जाए पुद्नों को 'वीरा' कह कर याद करती हूँ ।
देहातों में बदनें साइयों को चीर शब्द से . चुलाती हुईं स्वाभाविक
वीरता का परिचय देती हैं। पंजाबियों के घरों में पारिवारिक
उत्सवों; समारो हों के अवसर पर गाए जाने वाले घरेलू गीतों में
चीर शब्द की गूंज निमन्त्रित सरढली के हृदयों में स्नेड सिक्त
वीरता को संचारित करती हैं। पंजाब की ग्रामीण देवियां आते-
जाते अनजान अपरिचित राही को भी “वीरा” शब्द से सम्बो
घित कर इस वीर-भूमि की विशेषता को प्रकट करती हूं
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